2009-11-28 13:33:31

तमिल टाइगर्स के पूर्व सदस्यों को चर्च की मदद


वावूनिया, 28 नवम्बर, 2009। चर्च के कार्यकर्त्ताओं ने तमिल टाइगर्स के पूर्व सदस्यों को मदद देने की योजना बनायी है।
आशा व्यक्त की जा रही है कि कई तमिल टाइगर्स के सदस्यों को सरकार मुक्त कर देगी। उकान समाचार ने बताया कि कई तमिल जो एल टी टी ई के साथ जुड़ गये थे वे घायलावस्था में है या मानसिक यंत्रणायें झेल रहे हैं।
पूर्व टाईगर्स की दयनीय स्थिति पर टिप्पणी करते हुए ओबलेत धर्मसमाज के फादर पौल जयानाथान पच्चेक ने कहा कि तमिल टाईगर्सों को अब सजा देने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि वे लोग अपने से कोई निर्णय नहीं ले सकते थे। उन पर अलगाववादी लिट्टे का पूर्ण नियंत्रण था।
फादर पोल ने कहा कि वे 2 हज़ार पूर्व तमिल टाइगर्सो की मदद कर रहे हैं। ये तो नाबालिक हैं। कई लोगों की हालत ख़राब है कई सो नहीं पाते हैं।
कई लोगों को अब भी तमिल होने के भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
फादर पौल ने बताया कि जब से तमिल टाईगर्स और श्रीलंका के सेना की लड़ाई समाप्त हुई तब ही से वे उनकी देखभाल कर रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि करीब 11 हज़ार तमिल युवक और युवतियों को सरकार ने 17 कैम्पों में रखा है और उनसे पूछताछ जारी है।
ज्ञात हो कि 24 नवम्बर को ह्यूमन राईट्स वोच नामक संगठन ने इनकी हालत के लिये चिंता जाहिर की थी।
उधर श्रीलंका सरकार के मानवाधिकर मंत्री महिन्द्रा समारासिंघे ने कहा है कि इन पूर्व लिट्टे सद्स्यों के लिये सरकार नयी पुनर्वास योजना पर विचार कर रही है।
ज्ञात हो कि लिट्टे को अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। लिट्टे को कई आत्मघाती हमलों और श्री राजीव गाँधी और श्री लंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा की हत्या का आरोप है।








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