शहीद होने का अर्थ है मुक्तिकार्य को आगे बढ़ाना - कार्डिनल तोमको
ताईचुंग तैवान, 25 नवम्बर, 2009। जब तक दुनिया चलती रहेगी, कलीसिया में शहीदों की कोई
कमी नहीं होगी।
उक्त बातें कार्डिनल जोसेफ तोमको ने उस समय कहीं जब वे तैवान
में सुसमाचार प्रचार के 150 वीं वर्षगाँठ समारोह के समापन समारोह में बोल रहे थे।
सुसमाचार
प्रचार के बनी परमधर्मपीठीय समिति के पूर्व प्रीफेक्ट को संत पापा ने अपना विशेष दूत
बनाकर जुबिली समारोह के समापन के लिये वियेतनाम भेजा था।
वियेतनाम के 117 शहीदों
के सम्मान में आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में अपने प्रवचन में बोलते हुए कार्डिनल ने कहा
कि येसु मसीह ने दुनिया के पाप को मिटा दिया और उन्हें अपने उपर लेते हुए अपना जीवन लोगों
के लिये दे दिया।
इतना ही नहीं उन्होंने उन लोगों को माफ कर दिया जिन्होंने उन्हें
मार डाला।
कार्डिनल ने आगे कहा कि जब तब दुनिया में पाप और बुराइयाँ रहेंगी ईसाइयों
को अपने प्राण देने ही पड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि हर युग में दुनिया के पाप से
लोगों को बचाने के लिये ईसाइयों ने अपने प्राण दिये हैं।
ईसाई होने का अर्थ ही
है लोगों के बचाने के लिये अपना बलिदान करना और येसु के मिशन को आगे बढ़ाना। इस अवसर
पर बोलते हुए कार्डिनल जोसेफ ने कहा कि ईसाइयों को चाहिये कि वे अपने शहीदों पर गर्व
करें।
उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि शहीद होने का अर्थ सिर्फ इतना ही नहीं
येसु के लिये साहसपूर्वक अपना जीवन देना । शहीद होने का अर्थ है येसु के द्वारा लायी
गयी मुक्ति को आगे बढ़ाना।
कार्डिनल तोमको ने आगे कहा कि प्रत्येक ईसाई का कर्त्तव्य
है कि वह येसु के प्यार को लोगों को बाँटे।
उन्होंने आगे कहा कि ईश्वर का प्रेम
दुनिया में जीवित है क्योंकि कई लोग येसु के लिये अपना जीवन देने के लिये तैयार हैं।
कार्डिनल ने लोगों से कहा कि आज इन्हीं शहीदों का अनुसरण करें, सेवा कार्य करते
रहें, एक दूसरे की मदद करें और ईश्वरीय प्रेम और आशा का साक्ष्य दें।