काथलिक कलीसिया ने देश की ' सरानीय और प्यापक ' सेवा की है
नयी दिल्ली, 24 नवम्बर, 2009। काथलिक कलीसिया ने देश की सरानीय और प्यापक सेवा की
है।
उक्त बातें संसद में विपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवानी ने कहा उस समय
कहा जब वे दिल्ली महाधर्मप्रांत के गोल्डन जुबिलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में
मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे।
श्री आडवानी ने कहा कि उनकी शिक्षा-दीक्षा
भी काथलिक स्कूल में हुई है और वे येसु के शांति प्रेम और भाईचारे के संदेश को सर्वोच्च
महत्त्व देते हैं।
उन्होंने कहा कि ईसाइयों के योगदान को कदापि भुलाया नहीं जा
सकता है।
ईसाइयों ने न केवल देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये योगदान दिया
पर स्वतंत्र भारत के नवनिर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
ज्ञात
हो कि 22 नवम्बर को दिल्ली महाधर्मप्रांत के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर साल भर चलने
वाले जुबिली उत्सव के समापन समारोह कि लिये करीब पचास हज़ार लोग उपस्थित थे।
इस
अवसर पर आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में संत पापा के प्रेरितिक राजदूत नूनसियो महाधर्माध्यक्ष
लोपेज़ क्विनताना मु्ख्य अनुष्ठाता थे।
उन्होंने प्रवचन में बोलते हुए दिल्ली
महाधर्मप्रांत के योगदान की खूब प्रशंसा की।
ज्ञात हो कि पचास साल पहले 4 जून
सन् 1959 दिल्ली महाधर्मप्रांत 10 पल्लियों से आरंभ किया गया था।
आज दिल्ली
महाधर्मप्रांत में 82 पल्लियाँ है और यहाँ तीनों धर्मविधियों लैटिन, सिरो मालाबार और
सिरो मलंकारा के लोग निवास करते हैं। इसके पहले दिल्ली धर्मप्रांत दिल्ली और शिमला महाधर्मप्रांत
का एक हिस्सा हुआ करता था।
यूखरिस्तीय समारोह के समय 27 राज्यों के लोगों ने अपने-अपने
परंम्परागत वस्त्र पहन रखे थे। उड़ीसा के लोगों ने सन् 2008 में कंधमाल में हुए ईसाई-विरोधी
दंगे पर एक पुस्तक भेंट कीं।