वाटिकन सिटी, 23 नवम्बर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि दुनिया को ईश्वरीय
सुन्दरता को देख पाने की ज़रूरत है। यह कलाकारों की ज़िम्मेदारी है कि अपनी कला से लोगों
को सच्ची सुन्दरता को दिखलायें।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे शनिवार
21 नबम्बर को सिस्टीन चैपल में पूरे विश्व से एकत्रित 250 कलाकारों को संबोधित किया।
ज्ञात हो कि संत पापा जोन पौल द्वितीय के विश्व के कलाकारों को लिखे विशेष पत्र
की 10वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये, संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति ने विश्व
के प्रसिद्ध गायकों, चित्रकारों, संगीतकारों, लेखकों, चित्रकारों, वास्तुकारों, वास्तुशिल्पियों,
अभिनेताओँ और फिल्म निर्माताओं को आमंत्रित किया था।
यह भी विदित हो कि संत पापा
पौल षष्टम् ने भी वाटिकन के सिस्टीन चैपल में ही 45 वर्ष पहले इसी प्रकार के सम्मेलन
का आयोजन किया था।
इस अवसर पर बोलते हुए संत पापा ने कहा कि कलीसिया आरंभ से
ही कला और कलाकारों का सम्मान करती रही है। साथ ही कलीसिया ने विभिन्न कलाओं के द्वारा
मुक्ति के संदेश को लोगों के लिये प्रभावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है।
कलाकारों
के सम्मेलन के औचित्य के बारे में बताते हुए संत पापा ने कहा कि इससे कलीसिया और कलाकारों
का आपसी संबंध सुदृढ़ होगा ताकि इससे अपेक्षित फल प्राप्त हो सके।
संत पापा ने
कलाकारों से कहा कि सच्ची सुन्दरता के अनुभव से हम जीवन के अर्थ को पा सकते हैं और इसके
अनुभव से हमें आध्यात्मिक आनन्द की अनुभूति हो सकती है।
सच्ची सुन्दरता का अनुभव
हम सत्य से दूर नहीं करती बल्कि हमें अंधकार से मुक्ति मिलती है और हमारी रोजमर्रा की
ज़िदगी को सुन्दर और अर्थपूर्ण बनाती है।
संत पापा ने आगे कहा कि सच्ची सुंदरता
हमारे जीवन झकझोरती है ताकि हम रोज दिन के व्यस्त जीवन में खो न जायें।
कई बार
सच्ची सुन्दरता के अनुभव से व्यक्ति अपने मन में पीड़ा का अनुभव करता है, नवजागृत होता
और एक नये जीवन का अनुभव करता है।
इतना ही नहीं सच्ची सुन्दरता मानव को एक नयी
आशा प्रदान करता है।
सुन्दरता का गहरा अहसास हमें अपने जीवन रूपी ईश्वरीय वरदान
को पूर्ण रूप से जीने की प्रेरणा देता है। संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि वे जिस सुन्दरता
की बात कर रहें हैं वह सिर्फ अच्छा लगने के बारे में नहीं हैं।
सौन्दर्य कई बार
भ्रामक या चकाचौंध करने वाला हो सकता है। पर सच्ची सुन्दरता तो वो है जो व्यक्ति को स्वतंत्र
करे आन्तरिक खुशी और आशा प्रदान करे।
संत पापा ने यह भी कहा कि जो झूठी सुन्दरता
है वह व्यक्ति को इस बात का प्रलोभन देता है कि उस पर हावी हो, उसका अधिकारी बने और उस
पर शासन करे।
इसके ठीक विपरीत प्रमाणिक सौन्दर्य व्यक्ति के ह्रदय को इस बात
की प्रेरणा देता है कि वह सुन्दरतो को जाने इसे प्यार करे और उस ऊँचाई की ओर कदम रखे
जहाँ वह पूर्ण सुन्दरता को प्राप्त कर सके।
इस अवसर पर संत पापा ने कलाकारों को
इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया कि वे अपने कला और इसके सौन्दर्य के माध्यम से लोगों
के जीवन में आशा का संचार करें।