संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष
चेलेस्तीनो मिलियोरे ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में वीटो को पूरी तरह से हटा दिया जाना
सम्भव नहीं है तथापि वीटो के उपयोग को कम किया जाना अनिवार्य है।
विगत सप्ताहान्त
संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा के 64 वें सत्र को सम्बोधित करते हुए महाधर्माध्यक्ष मिलियोरे
ने कहा कि वाटिकन सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के वीटो शक्ति में सुधार के पक्ष
में है ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सबसे अधिक प्रभावित करनेवाले मुद्दों पर विचार
विमर्श का दरवाज़ा खुला रहे तथा ये मुद्दे किसी एक राष्ट्र द्वारा अवरोधित न किये जायें।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "यह देखते हुए कि वीटो का उन्मूलन संभव नहीं है, इसका
सुधार और अधिक उपयुक्त और यथार्थवादी होगा।" उन्होंने कहा कि इसके उपयोग को सीमित करना
सकारात्मक होगा क्योंकि इतिहास के अनेक अवसरों पर इसके उपयोग ने अन्तरराष्ट्रीय शांति
एवं सुरक्षा सम्बन्धी मामलों को आगे बढ़ने से रोका है तथा स्वतंत्रता एवं मानव गरिमा
के उल्लंघन को प्रश्रय दिया है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इसीलिये परमधर्मपीठ
उन देशों का समर्थन करती है जो वीटो शक्ति को कम करने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा
कि विशेष रूप से सुरक्षा परिषद के प्रत्येक स्थायी सदस्य को इस बात पर सहमत होना चाहिये
कि नरसंहार, मानवता विरोधी अपराध, युद्ध अपराध तथा अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के
उल्लंघन से सम्बन्धित मामलों में वे अपने वीटो का उपयोग नहीं करेंगे।
संयुक्त
राज्य अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद के
स्थायी सदस्य हैं जिनके पास वीटो का अधिकार है।