ईमानदार अंतःकरण से स्वस्थ समाज का निर्माण - संत पापा
वाटिकन सिटी, 16 नवम्बर, 2009 । संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने धर्माध्यक्षों से अपील
की है कि वे अंतःकरण को इस ऐसा सक्षम बनायें कि लोग मानव जीवन को एक वरदान समझकर जीयें,
मात्र व्यापार के लिये तैयार उत्पादन के रूप में नहीं।
संत पापा ने उक्त बातें
उस समय कहीं जब वे शनिवार 14 नवम्बर को दक्षिणी ब्राजील के धर्माध्यक्षों के साथ परंपरागत
पंचवर्षीय मुलाकात कर रहे थे।
संत पापा ने कहा ब्राजील के लोग धार्मिक प्रवृति
वाले हैं और वे कई अच्छी परंपराओं के साथ ख्रीस्तीयता की मजबूत नींव में खड़े हैं जो
एक बड़े ही संतोष की बात है।
संत पापा धर्माध्यक्षों को उनके मार्गदर्शन के लिये
धन्यवाद भी दिया। सत पापा ने कहा कि सभी धर्माध्यक्ष सुसमाचार प्रचार का कार्य जारी
रखें।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि निष्ठापूर्ण सामाजिक जीवन की शुरुआत
अंतःकरण में होती है।
संत पापा ने आगे कहा कि जब हमारा अंतःकरण ईमानदारीपूर्वक
कार्य करेगा तब ही हम अच्छे व्यक्ति बन सकते हैं।
कलीसिया का यह प्रयास रहा है
कि वह लोगों को बताये कि सत्य और भला क्या है और लोगों को इस बात के लिये मदद करे कि
वे स्वस्थ अंतःकरण का निर्माण कर सकें।
इस अवसर पर बोलते हुए पोप ने ब्राजील के
धर्माध्यक्षों को यह भी निर्देश दिया कि वे लोगों को इस बात के लिये प्रेरित करें कि
वे हिंसा का साथ न दें।
मानव जीवन ईश्वर का वरदान है जिसे नर और नारी के घनिष्टतम
संबंध के द्वारा प्राप्त किया जाता है न कि मानव जीवन मानव मात्र के प्रयास से संभव होता
है।
संत पापा ने कहा है कि हममें इस बात के लिये सही विवेक और विश्वास ऐसी होनी
चाहिये कि गर्भाधान से प्राकृतिक मृत्यु तक मानव ईश्वर का है और उसे न केवल कानूनी दृष्टिकोण
से पर नैतिक रूप से भी पूर्ण मर्यादा दी जानी चाहिये।