2009-11-11 12:34:04

बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
11 नवम्बर, 2009


वाटिकन सिटी, 11 नवम्बर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में संबोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहाः-

मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, मध्य युगीन ईसाई संस्कृति की शिक्षामाला को जारी रखते हुए आज हम क्लुनी के मठवासियों के सुधारों पर विचार करें।

11 सौ वर्ष पहले स्थापित क्लुनी के मठवासियों ने संत बेनेदिक्त के नियमों का कठोरता से पालन करते हुए कलीसिया की पूजनविधि को जीवन का केन्द्र बनाया।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लोग पवित्र घड़ी और मिस्सा पूजा बलिदान में भक्तिपूर्वक भाग लें।

इसके साथ उन्होंने भक्ति संगीत, कला, चित्रकला और वास्तुकला पर भी विशेष ध्यान दिया जिसने पूजन समारोह को और ही समृद्ध किया।

इस मठवासी पूजनविधि की एक और विशेषता थी कि इसमें इन्होंने मौन प्रार्थना और निवेदन की प्रार्थना पर भी विशेष बल दिया।

इस प्रकार की प्रार्थनाओं से लोगों को स्वर्गीय सुख की अनुभूति होने लगी। क्लूनी के मठवासियों के द्वारा जिस प्रार्थना और पूजन विधि का प्रचार हुआ उससे उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी कि पूरे यूरोप के लोगों ने इस प्रकार की प्रार्थनाओं को अपनाया।

बाद में सामंती नेताओं ने भी इनके कार्यों और उनके सुपीरियरों की नियुक्ति पर किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करने लगे।

मुक्त रूप से कार्य करते हुए और ओदो और ह्यूग जैसे महान् मठवासी नेताओं की अगवाई में इनकी प्रतिष्ठा चारों ओर फैल गयी।

क्लूनी के मठवासियों ने सार्वभौमिक कलीसिया की पवित्रता करने, ब्रह्मचर्य को पुनर्स्थापित करने और धर्मपद बेचने का उन्मूलन करने में अपना योगदान दिया।

यह यूरोप के इतिहास का प्रारंभिक समय था जब क्लूनी ने पूरे महाद्वीप में ईसाइत को एक अलग पहचान दी।

क्लूनी के मठवासियों ने आत्मा को प्राथमिकता, मानव मर्यादा पर बल और शांति के लिए अपना प्रतिबद्धता को दुहराया ।

इस अवसर पर संत पापा ने श्रीलंका के अधिकारियों से यह अपील की है युद्ध से विस्थापित व्यक्तियों की पूर्ण रूपेण सुरक्षित वापसी के लिये सुविधायें उपलब्ध करें।

उन्होंने आम नागरिकों से भी अपील की है कि मानवाधिकारों का पूरा सम्मान करें और स्थायी शांति के लिये प्रयासरत रहें। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी आग्रह किया है कि वे श्रीलंका को आर्धिक रूप से मदद दें।

उनकी आशा है कि श्रीलंका की मधु तीर्थस्थल की कुँवारी माँ मरिया उनकी उनकी मदद करेंगे।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने देश-विदेश से आये तीर्थयात्रियों, पर्यटकों जापान के पुरोहितों इंगलैड और वेल्स धर्मप्रांत के मीडिया निदेशकों, विद्यार्थियों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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