शिलोंग महाधर्मप्रांत में लोकधर्मी नेताओं या धर्मशिक्षकों को सम्मानित किया गया
भारत के शिलोंग महाधर्मप्रांत में एक सप्ताह तक चल रहे पलाटिनम जुबली समारोह के अंतर्गत
5 नवम्बर को लगभग एक हजार लोकधर्मी नेताओं या धर्मशिक्षकों को सम्मानित किया गया। कलीसिया
के विकास और प्रबंधन में लोकधर्मी नेताओं के उल्लेखनीय योगदान को मान्यता प्रदान करने
के लिए महाधर्मप्रांत ने लोकधर्मी नेताओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया। महाधर्मप्रांत
के चांसलर फादर जोन मादुर ने कहा कि हमारे गाँवों और नगरों में वे कलीसिया की मिशन के
मुख्य संचालक है। पहली नवम्बर को आरम्भ पलाटिनम जयंती समारोह का शुभारम्भ रेक्स बैंड
काथलिक संगीत मंडली के कार्य़क्रम से हुआ जो संगीत के माध्यम से सुसमाचार का प्रचार करती
है। इस कार्य़क्रम का शिलोंग में सीधा प्रसारण किया गया। 6 नवम्बर को महाधर्मप्रांत उन
दम्पतियों को सम्मानित कर रही है जिन्होंने इस वर्ष अपने विवाह की स्वर्ण या चाँदी जुबिली
मनायी है। फादर मादुर ने कहा कि इसका मतलब कलीसिया तथा समाज की महत्वपूर्ण ईकाई के रूप
में परिवार को मान्यता और महत्व प्रदान करना है। 7 नवम्बर को आयोजित कार्य़क्रम में राज्यपाल,
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कैबिनेट और राज्य विधानसभा के अनेक
सदस्य शामिल होंगे। पलाटिनम जयंती समारोह का समापन 8 नवम्बर को होगा जिसमें नोर्थ ईस्ट
बिश्प्स कोंसिल के अध्यक्ष गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनाम्परम्बिल समारोही ख्रीस्तयाग
की अध्यक्षता करेंगे। क्षेत्र के 15 धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्ष और सैकड़ों पुरोहित
पवित्र ख्रीस्तयाग में सह अनुष्ठाता होंगे। समारोह का समापन वार्षिक यूखरिस्तीय शोभायात्रा
से होगा जो शिलोंग की एक प्रमुख घटना होती है और इसमें सब धर्मो के लोग शामिल होते हैं।
फादर मादुर ने कहा कि विगत 75 वर्षों में नोर्थ ईस्टरन क्षेत्र में कलीसिया का व्यापक
स्तर पर विकास हुआ है। कलीसिया का योगदान धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में समय और परिस्थिति
के अनुरूप भिन्न भिन्न रूप लेता रहा है। ज्ञात हो कि सन 1890 में जर्मन सालवातोरियन्स
ने प्रेरिताई कार्य़ आरम्भ किया था, इसके बाद 1915 में येसुसमाजियों ने मिशन कार्य की
जिम्मेवारी ली। फिर सन 1922 से सलेशियन धर्मसमाजियों ने इस क्षेत्र में कलीसियाई प्रेरितिक
कार्यों की जिम्मेदारी ली तथा अबतक संचालित करते रहे हैं।