2009-11-02 12:54:11

इस्राएल ने वीजा संबंधी नियम कड़े किये


तेलअविभ, 2 नवम्बर, 2009। एशिया न्यूज के अनुसार इस्राएल की सरकार ने पुरोहितों और धर्मसमाजियों को वीसा नहीं देने का निर्णय लिया है।
इसके साथ ही जो पुरोहित या धर्मसमाजी पवित्र भूमि येरुसालेम में निवास कर रहे हैं उनके रहने की अवधि भी कम की जा रही है।
यह रोक अतिवादी पार्टी शास के निर्देश पर ऐसा किया जा रहा है। ऐसा होने से इस्राएल और वाटिकन के बीच के रिश्ते कटु होने की संभावना है।
वाटिकन और इस्राएल के बीच चल रही वार्ता 29 अक्तूबर गुरुवार को समाप्त हुई। यद्यपि कि वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हूई पर इसके कुछ ठोस परिणाम नहीं निकले।
फिर भी आशा की जा रही है कि नवम्बर और दिसंबर माह में होने प्रस्तावित सभा से कुछ सकारात्मक रिजल्ट सामने आयेंगे।
यह विदित हो कि अभी वाटिकन में संत पापा ने अंतरराज्यीय संबंधी मामलों के लिये एक नये अंडर सेक्रेटरी की नियुक्ति की है। नये सह सचिव मोनसिन्योरे एट्टोरे बालेस्त्रेरो हैं।
इस्राएल के साथ जो वार्ता जारी है उसमें इस बात पर समझौता करने का प्रयास किया जा रहा है कि इससे काथलिक कलीसिया को सुरक्षा मिले।
फिर कलीसिया के सामने यह चुनौती है कि वह न केवल संम्पति की रक्षा की बात सोच पर जान-माल की सुरक्षा भी कैसे करे। ऐसा पहले ही माना जा रहा था कि इस्राएल की सरकार में अगर अतिवादी शास का दबदबा आ जाये तो वह पुरोहितों और धर्मसमाजियों को परेशान करेंगे।
इस्राएल में पुरोहितों के लिये नियम पर ग़ौर करने से पता चलता है कि शुरु में वे बहुत ही उदार वादी थे।एक साल के बाद वे वहाँ के स्थायी निवासी बन सकते थे।
बाद में उन्हें सिर्फ रहने के लिये वीजा दिया जाने लगा जिसका नवीनीकरण किया जा सकता था। अब वीजा सिर्फ पाँच सालों के लिये दिये जाते हैं।
हाल में तो जो नियम बनाये गये हैं उसके अनुसार उन्हें सिर्फ़ एक साल के लिये ही दिया जायेगा।











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