20 जेस्विट प्रोविंशियलों ने श्री रामकृष्ण परमहंस मंदिर के दर्शन किये
कोलकाता, 2 नवम्बर, 2009। दक्षिण एशिया के 20 जेस्विट प्रोविंशियलों और रिजनल सुपीरियरों
ने 29 अक्तूबर शु्क्रवार को हिंदु धार्मिक गुरुओं से मुलाकात की और बेलूर के कोनचौकी
में अवस्थित हिंदु तीर्थस्थल के दर्शन किये। उन्होंने बताया कि यह एक आध्यात्मिक
अनुभव था। कोलकाता में दक्षिण एशिया के 20 जेस्विट सुपीरयरों और प्रोविंशयलों की द्वैवार्षिक
सभा का आयोजन किया गया था। यह एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है जिसमें भारत के अलावा
नेपाल, बांगला देश और श्री लंका के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। इस दर्शन की जानकारी
देते हुए कोलकाता के जेस्विट प्रोविंशयल जोर्ज पतेरी ने बताया कि बेलुर का मंदिर गंगा
नदी के किनारे अवस्थित है जिसे श्री रामकृष्ण परमहंस को समर्पित किया गया है। इसका
निर्माण श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने सन् 1886 ईस्वी में इसका
निर्माण कराया था। दर्शन के आयोजक फादर पतेरी ने बताया कि मंदिर के दर्शन के द्वारा
वे चाहते है कि हिन्दु-ईसाई वार्ता को बढ़ावा मिले। संत जेवियर स्कूल कोलकाता के
एक हिंदु शिक्षक दीपांकर वसु ने जेस्विट पुरोहितों के लिये गाइड की ज़िम्मेदारी निभायी।
उन्होंने बताया कि जेस्विट पुरोहितों का मंदिर में प्रार्थना करने जाने से लोगों
के बीच यह संदेश जायेगा कि हमें दूसरों के धर्मों का उचित आदर करना चाहिये। मंदिर
के पुजारी स्वामी शानतनु महाराज ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द ने अपने नये धर्मसमाज
की नींव ख्रीस्तमस की रात में डाली और वे रात-भर येसु के जीवन पर मनन-चिंतन करते रहे।
यह भी बताया जाता है कि श्री रामकृष्ण को येसु के दर्शन हुए थे और उसके तीन दिन तक
वह येसु के बारे में चिन्तन करते रहे। मंदिर के दर्शन के पहले जेस्विट प्रोविंशियलों
ने धन्य मदर तेरेसा द्वारा संस्थापित धर्मसमाज मिशनरिस ऑफ चारिटी की मदर जेनरल सिस्टर
मेरी प्रेमा से भी मुलाक़ात की।