खगोल वैज्ञानिकों के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 का संदेश
खगोल विज्ञान को समर्पित अंतरराष्ट्रीय वर्ष के उपलक्ष्य में वाटिकन सिटी में आयोजित
दो दिवसीय समारोह में भाग ले रहे विश्व भर से आये वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को संत पापा
बेनेडिक्ट 16 वें शुक्रवार को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक गैलिलियो
गलीली द्वारा टेलेस्कोप के द्वारा नक्षत्रमंडल को देखे जाने की चार सौ वीं वर्षगांठ के
अवसर पर आयोजित समारोह हमें आधुनिक युग में वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त होने में हुई प्रगति
पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित करता है इसके साथ ही सत्य की खोज में हम आश्चर्य़ चिंतन
और समर्पण की भावना में स्वर्ग की ओर अपनी दृष्टि फेरें। यह संयोग है कि यह बैठक ऐसे
समय में सम्पन्न हो रही है कि कास्तेल गोंदोल्फो स्थित वाटिकन वेधशाला में नई सुविधाओं
का भी उदघाटन किया गया है। वेधशाला का इतिहास वैज्ञानिक गैलीलियो की खोज और इससे जुड़े
विवादास्पद प्रसंगों सहित विज्ञान और धर्म के संबंध की सही और फलप्रद समझ से जुड़ा है।
संत पापा ने कहा कि गैलिलियो की खोज की भर्त्सना करने के ऐतिहासिक संदर्भ को स्पष्ट करने
के लिए सावधानीपूर्वक किये गये अध्ययन तथा मानव और ब्रह्मांड में उसके स्थान की समझ प्राप्त्
करने के लिए विश्वास और तर्क के मध्य जारी संवाद और चिंतनों के प्रति समर्पित लोगों के
प्रयासों के प्रति वे कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। वे वाटिकन वेधशाला के स्टाफ तथा वेधशाला
फाउंडेशन के शुभचिंतकों और अनुदानदाताओं के आभारी हैं जो शोध कार्य़ तथा शैक्षणिक अवसरों
की रचना करने सहित चर्च और विज्ञान जगत् के मध्य संवाद का प्रसार करने के लिए अपना योगदान
देते हैं। संत पापा ने कहा कि खगोल विज्ञान को समर्पित अंतरराष्ट्रीय वर्ष में 16 वीं
सदी की वैज्ञानिक खोज के प्रति आश्चर्य और विस्मय की भावना का स्मरण करने के साथ ही इस
प्रेरिति्क आवास से कुछ दूर ही रोमन कालेज के वैज्ञानिकों का स्मरण करते हैं जिनकी गणनाओं
और पर्यवेक्षण के कारण ग्रेगोरियन कैलेंडर की रचना हुई थी तथा सम्पूर्ण विश्व ने इसे
अपनाया था। संत पापा ने कहा कि मानवजाति के भविष्य के प्रति जिम्मेवारी तथा प्रकृति और
पर्यावरण के प्रति सम्मान आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों में और अधिक सावधानी से किये गये
प्रय़वेक्षण, विश्लेषणात्मक निर्णय, धैर्य तथा अनुशासन की माँग करती है। आविष्कारों के
युग के महान वैज्ञानिक हमें स्मरण कराते हैं कि सच्चा ज्ञान हमेशा विवेक उन्मुख होता
है और मन की आँखों तक सीमित नहीं करता लेकिन आत्मा के उच्चतर क्षेत्र की ओर दृष्टि रखने
के लिए आमंत्रित करता है। ज्ञान को मात्र प्रयोग और गणना तक ही सीमित नहीं किया जाये
लेकिन यह विवेक पाने की ओर उन्मुख हो जो मानव को उसकी उत्पत्ति और नियति की ओर निर्देशित
करने में समर्थ है। इस परम सत्य के प्रति हम समर्पित हों जिसे पूर्णतः नहीं समझ सकें
लेकिन यह हमारी सच्ची खुशी और स्वतंत्रता की कुँजी है। यही सच्ची मानवता का मापक तथा
मानव परिवार में विश्व और भाई बहनों को साथ हमारे न्यायसंगत संबंध का पैमाना है। संत
पापा ने सब वैज्ञानिकों का सादर सहर्ष अभिवादन करते हुए उनके शोध और अध्यापन कार्यों
के लिए शुभकामनाएँ दी तथा उनके परिजनों पर ईश्वरीय कृपाओं की कामना की।