2009-10-26 12:46:43

महाधर्माध्यक्ष दानिएल अचारुपराम्बिल का देहांत


नयी दिल्ली, 26 अक्तूबर, 2009। केरल के वेरापोली महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष दानिएल अचारुपराम्बिल का 26 अक्तूबर सोमवार को प्रातः ग्यारह बजे देहांत हो गया। महाधर्माध्यक्ष दानिएल 70 वर्ष के थे। वे लीवर सिरोसिस की बीमारी से पीड़ित थे।
उनकी अंतिम क्रिया 28 अक्तूबर को वेरापोली महाधर्मप्रांत के संत फ्रांसिस असीसी महागिरजाघर में साढ़े तीन बजे सम्पन्न होगी।.
अपने संवेदना संदेश में केरल के मुख्यमंत्री वी.एस. अचुतानन्दन ने कहा कि महाधर्माध्यक्ष ने राज्य में अंतरधार्मिक सद्भावना के लिये सदा कार्य किया कई सामाजिक समस्याओं के समाधान में अपना योगदान दिया।

सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल वार्की विथायाथिल ने कहा कि महाधर्माध्यक्ष दानिएल ने केरल की कलीसिया के कलीसिया को एक समर्पित नेतृत्व प्रदान किया।

आपका जन्म केरल के पाली पोर्त में 12 मई सन् 1939 ईस्वी में हुआ था। आपने ने इरनाकुलम में ने 1956 ईस्वी में कारमेलाइट धर्म समाज में प्रवेश किया और 14 मार्च सन् 1966 ईस्वी में आपका पुरोहिताभिषेक सम्पन्न हुआ।

आपने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढा़ई की और भारतीय दर्शनशास्त्र की पढ़ाई केरल विश्वविद्यालय से की थी।

सन् 1972 ईस्वी से आपने रोम के परमधरमपीठीय विश्वविद्यालय उरबानियाना में शिक्षण का कार्य भी किया। रोम ही में सन् 1978 ईस्वी में परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय संत थोमस अक्वीनास ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की।

सन् 1986 ईस्वी से वे उरबानियाना के मिसियोलोजी के डीन थे और रेक्टर के रूप में भी अपनी सेवायें दीं।

इतना ही नहीं रोम में विभिन्न परमधर्मपीठीय समिति के सदस्य के रूप में भी अपना योगदान दिया। आपने कई किताबें भी लिखीं जिनमें ' एभोलियुशनरी थोट ऑफ ओरोविन्दो ' ' हिन्दु रेलिजन लाइफ एंड विज़न ' और ' ए सर्च फॉर द इटरनल ट्रूथ ' मुख्य हैं।

5 अगस्त, सन् 1996 ईस्वी में आपको एरनाकुलम का महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया और 3 नवम्बर 1996 को कार्डिनल जोसेफ तोमके ने आपको धर्माध्यक्ष के रूप में अभिषिक्त किया था।

आपने केरल धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष रूप में भी केरल की कलीसिया की सेवा दी।










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