2009-10-26 12:42:16

आध्यात्मिकता के बिना राजनीतिक समाधान अधूरा – संत पापा


वाटिकन सिटी, 26 अक्तूबर, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कलीसिया के सामने दो प्रमुख खतरें हैं - राजनीति पर अधिक ध्यान देना और अव्यावहारिक कार्य करना।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब शनिवार 24 अक्तूबर को पौल षष्टम सभागार में एकत्रित अफ्रीकी धर्माध्यक्षों की दूसरी विशेष सभा के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।
ज्ञात हो कि तीन सप्ताह तक चल रहे अफ्रीकी धर्माध्यक्षों की दूसरी महासभा का 25 अक्तूबर रविवार का समापन हो गया।
इस सभा में 33 कार्डिनल 79 महाधर्माध्यक्ष औऱ 156 धर्माध्यक्षों ने हिस्सा लिया। महाअधिवेशन की विषय वस्तु थी ' मेल-मिलाप, न्याय और शांति को समर्पित अफ्रीकी कलीसिया।'
संत पापा ने कहा मेल-मिलाप न्याय और शांति के लिये आवश्यक है ह्रदय परिवर्त्तन। और यह परिवर्त्तन तब ही आ सकता है जब व्यक्ति का संबंध ईश्वर से मजबूत हो ।
संत पापा ने इस बात को स्वीकार किया कि न्याय और शांति के लिये राजनीतिक शक्ति की ज़रूरत है।
अगर हम मेल-मिलाप के लिये सिर्फ़ राजनीतिक शक्ति पर निर्भर हो जायें तो इससे समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।
राजनीतिक शक्ति के प्रलोभन में फँस जाने से हमें आत्मा के वरदान प्राप्त नहीं हो पायेंगे। संत पापा ने आगे कहा कि हमारा दूसरी प्रलोभन है सिर्फ़ आध्यात्मिकता की बातें करना जो कि पूर्णतः अव्यावहारिक होगा।
उन्होंने धर्माध्यक्षों से कहा कि वे जीवन की चुनौतियों का सामना ईश्वरीय दृष्टिकोण और सुसमाचार के अनुसार करें।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा होने से ही हम ईश्वरीय इच्छा के अनुसार अर्थपू्र्ण तरीके से समस्याओं का समाधान कर पायेंगे और मात्र राजनीतिक समाधान के खतरे से बच पायेंगे।
संत पापा ने इसी अवसर पर इस बात की घोषणा की कि घाना के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल और सिनोद के प्रवक्ता पीटर कोदवो अपियाह तुर्कसोन शांति और न्याय के लिये परमधर्मपीठीय समिति का नये अध्यक्ष होंगे।
संत पापा ने आगे कहा कि सिनोद की समाप्ति के बाद भी सिनोद जारी रहेगा क्योंकि सिनोद का अर्थ ही है एक साथ मिल कर यात्रा करना।
उन्होंने आशा व्यक्त की है कि एक साथ मिलकर ईश्वर की इच्छा के अनुसार चलने और उसके आगमन के लिये राह तैयार करने से ईश्वर का राज्य इस धरा पर स्थापित होना संभव हो पायेगा।












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