मुम्बईः कलीसिया भारत की सेवा करना चाहती है, धार्मिक स्वतंत्रता उसका अधिकार है
मुम्बई में रविवार को "प्रभु येसु महोत्सव" शीर्षक से आयोजित चार दिवसीय प्रथम भारतीय
मिशन काँग्रेस के समापन समारोह में मुम्बई के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल ऑसवर्ल्ड ग्रेशियस
ने स्पष्ट किया कि काथलिक कलीसिया का उद्देश्य भारत की सेवा करना है जिसके लिये उसे धर्म
पालन की पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिये। "प्रभु येसु महोत्सव" अर्थात प्रथम भारतीय
मिशन काँग्रेस बुधवार 14 अक्तूबर को आरम्भ हुआ था तथा रविवार 18 अक्तूबर को विश्व मिशनरी
दिवस के दिन समाप्त हो गया। "सन्देश एवं सन्देशवाहक बनकर अपने प्रकाश को जगमगाने दें"
उक्त मिशन काँग्रेस का विषय था। मिशन काँग्रेस में 160 धर्मप्रान्तों के डेढ़ हज़ार
प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिन्हें सम्बोधित कर कार्डिनल ग्रेशियस ने इस बात की पुष्टि
की, "हम केवल सेवा करना चाहते हैं तथा जैसा कि येसु ने आदेश दिया है उनके आशीर्वचनों
को प्रेम और सेवा के माध्यम से अपने जीवन में आत्मसात करना चाहते हैं ताकि विश्व को न्याय
एवं शान्ति से परिपूर्ण एक बेहतर स्थल बना सकें।" भारत के काथलिक धर्मानुयायियों
का कार्डिनल महोदय ने आह्वान किया कि वे सुसमाचार का प्रचार कर ख्रीस्त के साक्षी बनें।
उन्होंने इस बात पर बल दिया, "काथलिक कोई राजनैतिक पार्टी नहीं है, वह शक्ति और सत्ता
की खोज नहीं करती अथवा अपना प्रभाव जमाने के लिये श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने में नहीं
लगी है, बल्कि", उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य अधिक से अधिक मसीह के सदृश बनना है ताकि
हम उनके सन्देशवाहक बन सकें।" भारतीय समाज में व्याप्त धर्मान्तरण के भय के विषय
में उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि कुछेक राज्यों की सरकारों ने धर्मान्तरण
विरोधी कानून लागू किये हैं किन्तु भारत के ख्रीस्तीयों पर प्रायः लगाया जानेवाला बलात
धर्मान्तरण का आरोप काथलिक कलीसिया के लिये निराधार एवं निर्रथक है। उन्होंने कहा कि
द्वितीय वाटिकन महासभा बलात धर्मान्तरण को वर्जित ठहराती है क्योंकि प्राथमिक रूप से
ख्रीस्तीय धर्म के आलिंगन का अर्थ हृदय का रूपान्तरण है। कार्डिनल ग्रेसियस ने इस
बात पर बल दिया कि धर्म पालन एवं धर्म प्रचार की गारंटी भारतीय संविधान में दी गई है
इसलिये किसी भी प्रकार व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता को कुण्ठित करना मानव के बुनियादी
अधिकारों का अतिक्रमण है।