वाटिकन संयुक्त राष्ट्र संघ से आग्रह कर रहा है कि वह देशज लोगों को उनके अलंघनीय अधिकारों
का ज्ञान कराकर उनके विरुद्ध होनेवाले मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोके। न्यू यॉर्क
में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा के 64 वें सत्र में बोलते हुए वाटिकन के
स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे ने कहा कि देशज लोगों के अधिकारों
की बात करना वाटिकन के लिये एक बौद्धिक प्रयोग से कहीं अधिक है क्योंकि दीर्घ काल से
वह विश्व के 37 करोड़ देशज लोगों की सामाजिक, वैयक्तिक एवं आध्यात्मिक ज़रूरतों के प्रति
समर्पित रहा है। देशज लोगों के अस्मिता एवं संस्कृति के प्रति सम्मान का आह्वान करते
हुए महाधर्माध्यक्ष मिलियोरे ने कहा कि उनकी सांस्कृतिक परम्पराओं, धार्मिक चेतना तथा
स्वतः के विकास पर उनकी निर्णयन शक्ति का सम्मान किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश
उनके अधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ बहुत बार इस तथ्य
को रेखांकित कर चुकी है कि प्रत्येक मनुष्य की आधारभूत प्रतिष्ठा का सम्मान कर तथा प्रत्येक
को मानवाधिकार दिलाकर ही विकास योजनाओं को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। उन्होंने
कहा कि देशज लोगों के विकास के लिये यह आवश्यक है कि उन्हें उनके अधिकारों एवं उनकी मानव
मर्यादा से अवगत कराया जाये।