वाटिकन सिटी, 19 अक्तूबर, 2009। संगीत एक ऐसी भाषा है जिससे हम लोगों की आपसी एकता समझ
सकते हैं और ईश्वर से वार्तालाप भी कर सकते हैं।
उक्त बातें संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने उस समय कहीं जब वे शनिवार 17 अक्तूबर को एक संगीत कार्यक्रम में भाग लिया
जिसका आयोजन वाटिकन में किया गया था।
इस संगीत कार्यक्रम में चीन के पियानो वादक
जिन जू ने पियानों वादन प्रस्तुत किया। संत पापा ने कार्यक्रम की तारीफ़ करते हुए कहा
कि पियानो की धुन उन्हें बहुत अच्छा लगा और उन्हें आध्यात्मिक आनन्द की अनुभूति हुई।
उन्होंने कहा संगीत सुनने से हमारे दुःख आनन्द में बदल जाते हैं घृणा प्रेम में
उदासी खुशी में और मृत्यु जीवन में परिवर्तित हो जाते है।
संत पापा ने लोगों
को याद दिलाया कि शताब्दियों से संगीत एक ऐसी भाषा के रूप में व्यवहार किया जाता रहा
है जिसके द्वारा उन बातों को कहा जा सकता है जिस हम अपनी बोल-चाल की भाषा में व्यक्त
नहीं कर सकते हैं।
इसीलिये सभी सभ्यता के लोगों ने संगीत को अपने जीवन में महत्त्वपूर्ण
स्थान दिया है।
खुद ही पियानो वादक संत पापा ने कहा कि संगीत में इतनी शक्ति
है कि इससे हमारी आत्मा जाग उठती है हमारे भावनायें सक्रिय हो जाती हैं।
यह हमारे
मन-दिल को अनायास ही ईश्वर की ओर ऊपर उठा लेती है। हम दुःख में हो या सुख में संगीत एक
शक्तिशाली प्रार्थना बन सकती है।