देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 18 अक्टूबर को संत पेत्रुस महामंदिर के
प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यट्कों के साथ देवदूत संदेश
प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते
हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज अक्तूबर माह के तीसरे रविवार को हम
विश्व मिशन रविवार दिवस मना रहे हैं जो प्रत्येक कलीसियाई समुदाय और प्रतयेक ख्रीस्तीय
के लिए अनुस्मारक है कि सब लोगों के सामने सुसमाचार की उदघोषणा करना और साक्षी देना उनका
कर्तव्य है। विशेष रूप से उनके सामने जो अबतक सुसमाचार के बारे में नहीं जानते हैं।
इस अवसर के लिए लिखे गये मेरे संदेश में मैं प्रकाशना ग्रंथ में व्यक्त एक अभिव्यक्ति
से उत्प्रेरित हुआ जो नबी इसायस की नबूवती शब्दों को प्रतिध्वनित करता है। राष्ट्र उसकी
ज्योति में चलेंगे। प्रकाश, जिसके बारे में कहा गया है वह ईश्वरीय प्रकाश है, जो मसीह
में प्रकाशित किया गया तथा कलीसिया के मुखमंडल पर प्रतिबिम्बित होता है। यह नया येरूसालेम
के रूप में प्रस्तुत किया गया विस्मयकारी नगर, जहाँ ईश्वर की महिमा की पूर्णता चमकती
है। यह सुसमाचार का प्रकाश है जो देशों के पथ को अभिमुख करता तथा उन्हें एक ईश्वर, जो
भले और दयालु हैं उनके पितृत्व के नीचे, शांति और न्याय में, महान परिवार बनने की सच्चाई
को पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। कलीसिया का अस्तित्व सम्पूर्ण मानवजाति के
लिए आशा के इस संदेश की उदघोषणा करने के लिए ही है। इसने हमारे समय में अनेक आश्चर्यजनक
उपलब्धियों को पाया है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसने अंतिम सच्चाईयों और अपने अस्तित्व
के भाव को ही खो दिया है।
अक्तूबर माह में विशेष रूप से इस रविवार को सार्वभौमिक
कलीसिया अपनी मिशनरी बुलाहट को रेखांकित करती है। पवित्र आत्मा के नेतृत्व में वह जानती
है कि येसु के कार्य़, ईश्वरीय राज्य के सुसमाचार जो कि पवित्र आत्मा में न्याय, शांति
और आनन्द है इसकी उदघोषणा करने के काम को जारी रखने के लिए वह बुलाई गयी है। यह राज्य
प्रेम, स्वतंत्रता, सहदयता, प्रत्येक व्यक्ति की मानव मर्यादा के प्रति सम्मान की शक्ति
रूप में इस संसार में पहले से ही विद्यमान है। कलीसियाई समुदाय काम करने की अनिवार्यता
की ताकत को अपने दिल में महसूस करती है ताकि ख्रीस्त का आधिपत्य वास्तव में स्थापित हो।
इसके सब सदस्य और गंतिविधियाँ ऐसे प्रोजेक्ट में अपने जीवन की भिन्न अवस्थाओं और कैरिज्म
के अनुसार सहयोग करती हैं। मैं मिशन रविवार के दिन में सब मिशनरियों पुरोहितों, धर्मसमाजी
स्त्री पुऱूषों और लोकधर्मी स्वयंसेवियों का स्मरण करना चाहता हूँ जो संसार में सुसमाचार
लाने के लिए अपने अस्तित्व को ईश्वर को समर्पित करते हैं, यहाँ तक कि कठिनाईयाँ, तकलीफें
उठाते और यदा कदा सचमुच अत्याचार झेलते हैं। अनेक लोगों के बीच में मैं हाल ही में ब्राजील
में मारे गये पुरोहित दोनुम फिदेई मिशनरी फादर रूजेरो रूवेलोतो और कुछ दिनों पूर्व फिलीपिंस
में बंधक बनाये गये धर्मसमाजी पुरेहित मिकेल सिननोत का स्मरण करता हूँ।
इसके
साथ ही मैं कैसे उन बिन्दुओं के बारे में नहीं सोच सकता हूँ जो अफ्रीका के धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा से सामने आ रही है चरम बलिदान और येसु ख्रीस्त तथा उनकी कलीसिया के प्रति
प्रेम। मैं मिशनरी पहल और प्रशिक्षण के लिए पोंटिफिकल मिशनरी सोसायटीस द्वारा अर्पित
बहुमूल्य सेवा के लिए उनका धन्यवाद करता हूँ। इसके साथ ही मैं सब ख्रीस्तीयों को आमंत्रित
करता हूँ कि निर्धन देशों में युवा कलीसियाओं को मदद करने के लिए वे भौतिक और आध्यात्मिक
सहायता दें।
प्रिय मित्रो, आज 18 अक्तूबर को हम सुसमाचार लेखक संत लूकस
का भी पर्व मनाते हैं जिन्होंने सुसमाचार के साथ ही उस समय तक ज्ञात संसार के कोने कोने
तक ख्रीस्तीय संदेश के फैलने का वृत्तांत प्रेरित चरित लिखा। हम संत फ्रांसिस जेवियर
और बालक येसु की संत तेरेसा जो मिशन के संरक्षक संत हैं उनके साथ ही संत लूकस और कुँवारी
माता मरियम की मध्यस्थता की याचना करते हैं ताकि कलीसिया सब देशों में ख्रीस्त की ज्योति
फैलाने में लगी रहे। मैं आप सबसे आग्रह करता हूँ कि अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा
की दूसरी विशेष सभा के लिए प्रार्थना करें जो इस सप्ताह यहाँ वाटिकन में सम्पन्न हो रही
है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।