निर्भीक होकर विश्वास का प्रचार करें – धर्माध्यक्ष डाबरे
मुम्बई, 17 अक्तूबर, 2009। चर्च का यह परम दायित्व है कि वे ईसाइयों को इस बात के लिये
मदद करे कि वे अपने विश्वास को अपनी पहचान का अभिन्न अंग बना लें और निर्भीक होकर इसका
प्रचार करें।
उक्त बातें पूना के धर्माध्यक्ष थोमस डाबरे ने उस समय कहीं जब वे
इंडियन मिशन काँग्रेस के उद्घाटन समारोह में प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।
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प्रभु येसु महोत्सव ' के नाम से मुम्बई के गोरगाँव सेमिनरी में आयोजित 14 से 18 अक्तूबर
तक होने वाले इस महासभा में पूरे देश के 160 धर्मप्रांतों के 1 हज़ार पाँच सौ प्रतिनिधि
हिस्सा ले रहे हैं।
धर्माध्यक्ष डाबरे न आगे कहा कि येसु के मूल्यों के अनुसार
जीवन बिता कर ही हम येसु के सच्चे संदेशवाहक और संदेश बन सकते हैं।
उन्होंने
कहा कि जब संदेश औऱ संदेशवाहक एक हो जाते हैं तब ही एक नये पथ का उदय होगा जो येसु की
रोशनी से आलोकित होकर न केवल देश को पर पूरे विश्व को बदल पायेगा।
उन्होंने कहा
कि पिछले वर्ष उड़ीसा के ख्रीस्तीयों पर जो धर्मसतावट हुए और वहाँ के ख्रीस्तीयों ने
इसमें जो वीरता दिखलायी वह प्रशंसनीय है।
सीबीसीआई के सिद्धांतों और ईशशास्त्र
के लिये बनी आयोग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष डाबरे ने कहा कि चर्च ने देश की सेवा करने में
जो समर्पण की भावना दिखायी है वह उसके शिक्षण, स्वास्थ्य और समाज सेवा के कार्यों से
स्पष्ट हो जाता है।
उन्होंने इस ओर भी लोगों का ध्यान खींचा कि कई अन्य धर्मावलंबी
गिरजाघरों में जाकर प्रार्थनायें चढ़ाते हैं और यह दिखाता है कि वे आध्यात्मिक रूप से
भूखे प्यासे हैं।
बिशप डाबरे ने यह भी कहा कि जो यह कहते हैं कि वे येसु को स्वीकार
करते हैं पर ईसाइयों को नहीं तो यह गलत है।
उन्होंने लोगों से अपील की वे धन्य
मदर तेरेसा के पदचिह्नों पर चलें और लोगों की सेवा करें और येसु के दीप को सारे जग में
फैलायें।