वाटिकन सिटीः बेनेडिक्ट 16 वें ने धर्मसभा आचार्यों के समक्ष चिन्तन के बिन्दु प्रस्तुत
किये
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सोमवार को एक चिन्तन से अफ्रीका के काथलिक धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा का उद्घाटन किया। सोमवार को वाटिकन में अफ्रीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय धर्मसभा
की दूसरी आम सभा आरम्भ हुई जो 25 अक्तूबर तक चलेगी।
अपने चिन्तन में सन्त पापा
ने इस बात का आश्वासन दिया कि अफ्रीका महाद्वीप की विभिन्न जातियों एवं जनजातियों के
बीच विद्यमान तनाव और विभाजनों को प्रेम से दूर किया जा सकता है। धर्मसभा का उदघाटन उन्होंने
पवित्रआत्मा की प्रार्थना से शुरु किया तथा याचना की कि अफ्रीका के लोगों को अपनी समस्याओं
के समाधान के लिये ईश्वरीय विवेक एवं प्रज्ञा का वरदान प्राप्त हो।
सन्त पापा
ने धर्माध्यक्षों से कहा कि धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित कलीसिया एवं विश्व के लिये जो कुछ
करना चाहते है उसके लिये केवल मानव बुद्धि एवं मानवीय शक्ति ही पर्याप्त नहीं है बल्कि
इसके लिये ईश्वर की कृपा एवं आशीष की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सतत प्रार्थना
द्वारा कलीसिया के धर्माधिकारी क्या उचित है और क्या अनुचित इसका आलोक प्राप्त कर सकते
हैं।
सन्त पापा ने इस बात का मरण दिलाया कि कलीसिया कोई संगठन नहीं है अपितु
वह पवित्रआत्मा के वरदानों का फल है जो सभी जातियों एवं संस्कृतियों के लोगों को सत्य
की ओर ले जाता है ताकि वे आपसी समझदारी, मेलमिलाप एवं शान्ति में जीवन यापन के लिये प्रेरणा
प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि पवित्रआत्मा से प्रस्फुटित प्रेम प्रत्येक मनुष्य को
अपने पड़ोसी के प्रति ज़िम्मेदार बनाता तथा न्याय एवं मैत्री की स्थापना हेतु उसे प्रोत्साहित
करता है जो आज विश्व के लिये नितान्त आवश्यक है।