2009-10-05 16:58:15

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 4 अक्टूबर को संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यट्कों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहाः

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस सुबह, संत पेत्रुस महामंदिर में अफ्रीका के धर्माध्यक्षों की सिनड, द्वितीय विशेष सभा का शुभारम्भ समारोही ख्रीस्तयाग समारोह के साथ हुआ जिसमें अफ्रीका की विभिन्न भाषाओं में प्रार्थनाएँ अर्पित की गयीं। मेरे वंदनीय पूर्वाधिकारी, संत पापा जोन पौल द्वितीय ने सन 2000 और तृतीय ख्रीस्तीय सहस्राब्दि को देखते हुए सन 1994 में प्रथम अफ्रीकी सिनड आयोजित किये जाने का आह्वान किया था। वे, जो अपने मिशनरी उत्साह के साथ अनेक बार अफ्रीकी भूमि पर तीर्थयात्री थे उन्होंने उस बैठक से उत्पन्न होनेवाले मुददों को एक साथ संकलित किया और प्रेरितिक उदबोधन एकलेशिया इन अफ्रीका के नाम से प्रकाशित किया जिसके द्वारा अफ्रीका महाद्वीप में सुसमाचार प्रचार कार्य़ को पुनः गति प्रदान किया गया। 15 वर्षों बाद यह नवीन सभा प्रथम बैठक के क्रम में ही अपने को रखती है ताकि अब तक अपनाये गये पथ और उपायों का सत्यापन करे, कुछ पहलूओं पर विचार विमर्श करे तथा हाल की चुनौतियों की जाँच करे। शीर्षक चुना गया हैः अफ्रीका में कलीसिया मेलमिलाप, न्याय और शांति की सेवा में । इसके साथ ही येसु ख्रीस्त द्वारा अपने शिष्यों को कहे गये शब्द रखा गया हैः तुम पृथ्वी के नमक हो, तुम संसार की ज्योति हो।

सिनड अर्थात धर्माध्यक्षों की धर्मसभा हमेशा गहन कलीसियाई अनुभव की रचना करती है कलीसिया के जीवन के विशिष्ठ पहलूओं के संदर्भ में सामूहिक मेषपालीय जिम्मेदारी का अनुभव है अथवा, इस मामले में कहें भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर निर्धारित ख्रीस्तीय लोगों का एक भाग। संत पापा और उनके निकटतम सहयोगी सभा के लिए चुने गये सदस्यों, विशेषज्ञों और अंकेक्षकों के साथ मिलकर चुने गये विषयवस्तु पर चिंतन करते हैं। यहाँ इस बात पर जोर देना मह्त्वपूर्ण है कि यह स्टडी ग्रूप का मामला नहीं है और न ही क्रमादेश सभा है। सभागार में सम्बोधन और भाषण सुने जाते हैं, समूह में बहस और वाद विवाद किये जाते हैं लेकिन हमसब जानते हैं कि हम सब इसके नायक नहीं हैं, यह प्रभु हैं, उनका पवित्र आत्मा जो कलीसिया को मार्गदर्शन प्रदान करता है। सब लोगों के लिए सबसे मुख्य बात है सुनना, एक दूसरे और प्रत्येक जन को सुनना कि ईश्वर हमें क्या बताना चाहते हैं। इसलिए, धर्मसभा विश्वास और प्रार्थना के वातावरण में, ईश्वर के वचन के प्रति धार्मिक आज्ञाकारिता में सम्पन्न होती है। यह संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी का स्थान है कि वह धर्मसभा बुलाने का आह्वान करें और मार्गदर्शन दें। सभा के कार्य़ से प्राप्त होनेवाले बिन्दुओं और विचारों को संकलित कर उपयोगी मेषपालीय निर्देश अर्पित करें।

प्रिय मित्रो, अफ्रीका एक महादेश है जिसके पास विस्मयकारी मानव धन है। इस समय, इसकी आबादी लगबग एक अरब है और यहाँ की कुल जन्म संख्या दर विश्व में सबसे अधिक है। अफ्रीका ऐसी भूमि है जहाँ मानव जीवन की प्रचुरता है लेकिन दुर्भाग्य से, यह जीवन बहुधा गरीबी और भयानक अन्याय का शिकार होती है। कलीसिया सुसमाचार की ताकत और ठोस सह्दयता के अनेक परोपकारी संस्थानों और पहलों द्वारा इन बुराईयो पर विजय पाने के लिए समर्पित है। हम कुँवारी माता मरियम से प्रार्थना करें ताकि वे अफ्रीका के इस दूसरे विशेष सभा को आशीष दें तथा इस महान और प्रिय महादेश के लिए शांति और विकास रूपी वरदान प्राप्त करें।

इतना कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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