अहिंसा के शक्तिशाली संदेश का प्रसार करने की जरूरत पहले से कहीं अधिक
2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की 140वीं जयंती और अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर
गोहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनामपरम्बिल ने कहा है कि ऐसे समय में जब हमारे देश और
विश्व के विभिन्न भागों में संघर्ष हो रहे हैं तो आज अहिंसा के शक्तिशाली संदेश का प्रसार
करने की जरूरत पहले से कहीं अधिक है। महात्मा गाँधी की छवि पर अपने चिंतन को व्यक्त करते
हुए महाधर्माध्यक्ष मेनाम्परम्बल ने कहा कि यह दुखद है कि असहिष्णुता, जातीय संघर्ष,
आर्थिक हितों, राजनैतिक हिंसा और आतंकवाद विश्व के हर भाग में सामान्य रूप से दिखाई पड़
रहा है। इसलिए अहिंसा के शक्तिशाली संदेश का प्रसार करने की जरूरत पहले से कहीं अधिक
है जिसे येसु ख्रीस्त से लेकर महात्मा गाँधी जी ने सार्वजनिक जीवन और राजनीति में अपना
बनाया। वे भारत के लोगों को अहिंसा के मार्ग पर लेकर स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए
जागरूक करने में समर्थ थे और इस तरह से वे येसु की शिक्षा से प्रभावित थे। अमरीका में
अश्वेत समुदाय के लिए नागरिक अधिकारों को शांतिपूर्ण तरीके से दिलाने में मार्टिन लूथर
किंग ने यही पथ अपनाया था। महात्मा गाँधी ने शांतिपूर्ण लेकिन बहुत ही प्रभावी तरीकों,
असहयोग आन्दोलन तथा सत्याग्रह के द्वारा भारत की जनता के लिए विदेशी शासन से आजादी प्राप्त
की। महाधर्माध्यक्ष मेनाम्परम्बिल ने कहा कि देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में संघर्षों
को मिटाने तथा शांति स्थापना के लिए मानवशास्त्र के अध्ययन से उन्हें बहुत सहायता मिलती
है। उन्होंने कहा कि शांति निर्माता बनने के लिए कलीसिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.
यह संवाद के द्वारा शांति, समझदारी और सौहार्द का सेतु बनने के कार्य़ में संलग्न रहे।
महाधर्माध्यक्ष मेनामपरम्बिल 5 अक्तूबर को उड़ीसा के कंधमाल जा रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों
ने जिले के 200 युवाओं के लिए तीन दिवसीय कार्य़क्रम संचालित करने के लिए उन्हें आमंत्रित
किया है। शांति, सौहार्द. परस्पर समझदारी और सार्वजनिक हित के लिए कार्य़ विषय पर विचार
विमर्श किया जायेगा।