तमिलनाडु सरकार द्वारा 1 लाख शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रस्ताव
भारत के तमिलनाडू राज्य में मुख्यमंत्री एम करूणानिधि ने घोषणा की है कि राज्य सरकार
श्रीलंका से आये लगभग 1 लाख शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान् करना चाहती है जो अनेक वर्षों
से राज्य में रह रहे हैं। इस आशय का प्रस्ताव राज्य सरकार की और से केन्द्र सरकार को
भेजा गया है। मदुरै के महाधर्माध्यक्ष पीटर फर्नान्डो ने एशिया समाचार सेवा से कहा कि
मुख्यमंत्री की यह घोषणा बहुत महत्वपूर्ण है। शरणार्थी दर्जा प्राप्त होने के कारण लगभग
एक लाख तमिल समाज की मुख्यधारा तथा विकास और प्रगति में पूरी तरह से सहभागी नहीं हो पा
रहे थे। ज्ञात हो कि तमिलनाडु में 115 शिविरों में 73 हजार तथा सरकार द्वारा संचालित
राहत शिविरों में अतिरिक्त 30 हजार शरणार्थी रह रहे हैं। श्रीलंका सेना तथा तमिल टाईगर्स
के मध्य लड़ाई से बचने के लिए ये शरणार्थी भारत आये जहाँ तिल .मुदाय के मध्य वे विदेशी
बन गये। राज्य सरकार का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब शारणार्थियों की स्थिति बहुत
अनिश्चित है। 30 वर्षों के संघर्ष की समाप्ति के बाद लोगों में यह आशा जगी थी कि वे अपने
घरों को लौट जाएंगे तथापि जो संभावनाएँ उत्पन्न हुई थीं वे बहुत धूमिल दिखाई दे रही हैं।
श्रीलंका सरकार अबतक शिविरों में रह रहे 2 लाख 50 हजार शरणार्थियों का पुर्नवास किया
जाना बाकी है। मान्यवर फेरनानदो ने कहा कि श्रीलंका के शरणार्थी शिविरों में रह रहे आंतरिक
रूप से विस्थापित लोगों की बड़ी संख्या चिंता का विषय है। प्रतिदिन शिविरों से प्राप्त
हो रहे समाचार शरणार्थियों की स्थिति असहनीय बनती जा रही है। रविवार को एक घटना में सेना
के जवानों ने शरणार्थियों के एक समूह पर गोलियाँ चलायी जो बिना परमिट के चेदुकालाम शिविर
से भाग जाना चाहते थे। इस घटना में दो महिलाओं और तीन बच्चों सहित 6 लोग घायल हो गये।
नागरिक और मानवाधिकार समूह श्रीलंका सरकार पर दोषारोपण किया है कि वह सरकार शरणार्थी
शिविरों को जेलों में बदल रही है।