चेक गणराज्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की प्रेरितिक यात्रा पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट
श्रोताओ, सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस समय
चेक गणराज्य की प्रेरितिक यात्रा पर हैं जहाँ से वे सोमवार सन्ध्या पुनः रोम लौटेंगे।
शनिवार 26 सितम्बर को आरम्भ चेक गणराज्य की तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें की 13 वीं अन्तरराष्ट्रीय यात्रा है। इस देश की कुल आबादी एक करोड़ तीस लाख है
जिनमें 32 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी है। सोवियत संघ के पतन के बाद पहली जनवरी सन् 1993
को पूर्व चेकोस्लोवाकिया, चेक एवं स्लोवाक, दो स्वतंत्र गणतंत्रों में विभाजित हुआ था।
सन् 1989 ई. में बर्लिन की दीवार के ढह जाने के बाद केन्द्रीय एवं पूर्वी यूरोप
में भी चार लम्बे दशकों तक चलनेवाला साम्यवादी दमनकारी शासन का अन्त हुआ तथा यहाँ के
लोगों के मन में स्वतंत्रता एवं न्याय से भरे एक नये युग की आशा प्रबल हुई। स्वतंत्रता
की लहर चली और इसके साथ ही आर्थिक विकास एवं नवीन मार्केट नीतियो का बाज़ार भी खुला,
लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ, नौकरियों के नये अवसर पनपे और इसके साथ ही उपभोक्तावाद
ने लोगों को अभिभूत कर लिया। नवीन समृद्धि की चकाचौंध में लोग केवल भौतिक धन को ही सबकुछ
मान बैठे तथा धर्म, ईश्वर एवं विश्वास जैसे तत्वों को उन्होंने अपने जीवन से ही बाहर
कर दिया परिणाम यह हुआ कि आज चेक गणराज्य की आधी से अधिक जनता स्वतः को ग़ैरविश्वासी,
अज्ञेयवादी एवं नास्तिक घोषित करती है। शनिवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने चेक
गणतंत्र की राजधानी प्राग में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा आरम्भ की ताकि यहाँ के
लोगों को उनके ख्रीस्तीय मूल का स्मरण कराकर उनमें विश्वास की ज्योति प्रज्वलित कर सकें।
चेक गणतंत्र में अपनी यात्रा से पूर्व सन्त पापा ने कहा था, "सम्पूर्ण महाद्वीप की तरह
ही चेक गणतंत्र को भी विश्वास एवं आशा को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है।"
"ईश्वर
के बिना मनुष्य न तो जानता है कि उसे कहाँ जाना और न ही यह समझ पाता है कि वह खुद कौन
है", शनिवार को प्राग हवाई अड्डे पर उतरते ही सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपने विश्वपत्र
"कारितास इन वेरितास" की इस पंक्ति को दुहराकर चेक गणराज्य में अपनी तीन दिवसीय यात्रा
आरम्भ की। नास्तिकतावादी भूतपूर्व साम्यवादी सरकार द्वारा ढाये गये निर्मम अत्याचारों
से उभरे घावों का स्मरण दिलाकर सन्त पापा ने चेक जनता से आग्रह किया कि वह अपनी ख्रीस्तीय
जड़ों की पुनर्खोज करे तथा अपने जीवन को सार्थक बनाये।
हवाई अड्डे से सन्त पापा
प्राग स्थित शिशु येसु को समर्पित महागिरजाघर गये जहाँ प्रति वर्ष देश विदेश के श्रद्धालु
आराधना अर्चना के लिये एकत्र हुआ करते हैं। यहाँ सन्त पापा ने भाईचारे एवं एकात्मता की
गुहार लगाते हुए इस तथ्य की पुनरावृत्ति की कि प्रत्येक मानव प्राणी ईश्वर की सन्तान
है अस्तु हमारा भाई एवं बहन है जिसका स्वागत एवं सम्मान किया जाना अनिवार्य है। उन्होंने
आशा व्यक्त की, "मानव समाज इस सत्य को बुद्धिगम्य करे ताकि मानव व्यक्ति का सम्मान इसलिये
नहीं किया जाये कि उसके पास क्या है बल्कि इसलिये कि वह कौन है क्योंकि नस्ल एवं जाति
का भेद किये बिना प्रत्येक मानव प्राणी के चेहरे से ईश्वर की प्रतिमा ही झलकती है।"
शनिवार सन्ध्या सन्त पापा ने प्राग स्थित कास्त्तेलो दी प्राहा नाम से विख्यात
राष्ट्रपति भवन में चेक गणराज्य के राष्ट्रपति वात्सलाव क्लाऊस से औपचारिक मुलाकात की।
तदोपरान्त प्रधान मंत्रि जान फिशर, चेक संसद के गणमान्य अधिकारियों तथा चेक गणतंत्र के
पूर्व राष्ट्रपति वात्सलाव हावेल ने सन्त पापा का साक्षात्कार किया। वाटिकन के प्रेस
प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने सन्त पापा एवं राष्ट्रपति के बीच सम्पन्न मुलाकात
पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट वाटिकन रेडियो को प्रेषित की है जिसके अनुसार दोनों नेताओं के
बीच 15 मिनट तक वैयक्तिक बातचीत हुई। मुलाकात के दौरान जर्मन भाषा का इस्तेमाल किया गया
जिसमें राष्ट्रपति की धर्मपत्नी भी शामिल थीं। वैयक्तिक मुलाकात के बाद राष्ट्रपति के
परिवार सदस्यों ने सन्त पापा का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया तथा उनके साथ
तस्वीरें खिंचवाई। उपहारों के आदान प्रदान के अवसर पर सन्त पापा ने राष्ट्रपति को मोजक
में ढाली गई, चेक गणराज्य के संरक्षक सन्त वेनचेसलाव की एक तस्वीर अर्पित की जबकि राष्ट्रपति
ने बोहेमियाई क्रिस्टल काँच का एक चषक एवं क्रिस्टल काँच के ही दो दीपवृक्ष अर्पित किये।
संगीत प्रेमी सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें को इस अवसर पर प्यानो बजाने के लिये प्रयुक्त
एक स्टूल अथवा चौकी भी स्नेहवश अर्पित की गई।