चेक गणतंत्र के राजनीतिज्ञों, कूटनीतिज्ञों एवं नागर अधिकारियों को संत पापा का संदेश
सज्जनो और देवियो
मैं इस विशेष माहौल में चेक गणराज्य के राजनैतिक और नागरिक अधिकारियों
तथा कूटनैतिक समुदाय के सदस्यों से मुलाकात के लिए मिले अवसर के लिए कृतज्ञ हूँ। मैं
आप सबकी तरफ से राष्ट्रपति क्लाउस द्वारा कहे गये सम्बोधन के लिए आभारी हूँ। चेक फिलहारमोनिक
वाद्य गायन मंडली की संगीत प्रस्तुति की सराहना करता हूँ जो खुले ऱूप से चेक संस्कृति
और यूरोपीय संस्कृति के निर्माण के लिए इस देश के उल्लेखनीय योगदान को व्यक्त करती है।
यह संयोग है कि चेक गणराज्य की मेरी मेषपालीय यात्रा के समय में ही केन्द्रीय
और पूर्वी यूरोप में तानाशाही साम्यवादी शासन के पतन की 20 वीं वर्षगांठ है तथा वेलवेट
क्रांति जिसने इस देश में लोकतंत्र की पुर्नस्थापना की। उस उत्साह को स्वतंत्रता के
रूप में व्यक्त किया सम्पूर्ण महाद्वीप में आये गहन राजनैतिक परिवर्तन के दो दशकों बाद
चंगाई और पुर्ननिर्माण की प्रक्रिया जारी है, अब यह यूरोपीय संघीकरण और बढ़ते वैश्विक
दुनिया के व्यापक संदर्भ में हो रही है।
नागरिकों की अपेक्षाएँ तथा सरकारों पर
रखी गयी उम्मीदें नागरिक जीवन और लोगों तथा देशों के मध्य सह्दयता के नय नमूनों का आह्वान
करते हैं जिसके बिना न्याय, शांति और समृद्धि का लक्षित भविष्य पूरा नहीं हो सकेगा। यह
कामना आज मुख्य रूप से युवाओं के मध्य है प्राप्त स्वतंत्रता की प्रकृति से जुडे़ सवाल
उभरते हैं। स्वतंत्रता का अभ्यास किस उद्देश्य के लिए किया जाता है इसकी विशेषता क्या
हैं
प्रत्येक पीढ़ी के सामने गहन शोध का काम है कि मानवीय कार्यों को सही तरीके
से व्यवस्थित करे,मानव स्वतंत्रता के उचित उपयोग को समझने की कोशिश करे। स्वतंत्रता की
संरचनाओं को मजबूती प्रदान करने का कर्तव्य अति महत्वपूर्ण है तथापि यह पर्य़ाप्त नहीं
है- स्वतंत्रता उद्देश्य खोजती है, इसके लिए दृढ़ता की जरूरत होती है। सत्य की खोज, सच्चे
कल्याण की पूर्वकामना रहती है इसलिए इसकी परिपूर्णता जो सही और वैध है उसे जानने और करने
में होती है। वस्तुतः सत्य और कल्याण को ग्रहण करने की जागरूकता उत्पन्न करने का अहम्
दायित्व सब नेताओं धार्मिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक पर अपने अपने तरीके से पड़ती है।
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और सत्य की खोज में संयुक्त रूप से हम शामिल हों चाहे हम हाथ
से हाथ मिलाकर चलें या दयनीय अवस्था में नष्ट हो जायें।
ख्रीस्तीयों के लिए सत्य
का एक नाम है ईश्वर और भलाई का एक चेहरा है येसु ख्रीस्त। ईसाईयों का विश्वास संत सिरिल
और संत मेथोदियुस के समय तथा आरम्भिक मिशनरियों के जमाने से ही देस की सांस्कृतिक और
आध्यात्मिक विरासत की रचना करने में निर्णायक भूमिका का अदा किया है। यह वर्तमान और
भविष्य के लिए भी काम करे। अनेक सदियों से यह भूमि अनेक समुदायों, परम्पराओं और संस्कृतियों
के मध्य मिलन स्थल रहा है। गलतफहमियों और अत्याचारों की त्रासदीपूर्ण घटनाओं के बावजूद
इसकी ख्रीस्तीय जड़ों ने क्षमा मेलमिलाप और सहयोग की भावना को पोषण प्रदान किया जिसने
इस भूमि के लोगों को आजादी पाने और एक नयी शुरूआत, एक नवीन संश्लेषण, आशा का नवीनीकरण
है।
यूरोप महाद्वीप से कहीं अधिक है यह घर है। यहाँ स्वतंत्रता आध्यात्मिक घर
में गहन अर्थ पाती है। राजनीति और धर्म के क्षेत्र की विशिष्टता का पूरा सम्मान करते
हुए जो कि नागरिकों कीअपने धार्मिक मान्यताओं को व्यक्त करने और जीने की स्वतंत्रता को
सुरक्षित रखती है मैं हर पीढ़ी के नागरिकों के अंतःकरण को प्रशिक्षित करने तथा नैतिक
सर्वसम्मति का प्रसार करने में ख्रीस्तीयता की अहस्तांतरणीय भूमिका को रेखांकित करता
हूँ जो इस महाद्वीप को घर कहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति की मदद करती है.
लोगों के
प्रति निष्ठा जिनकी आप सेवा करते तथा प्रतिनिधित्व करते हैं इसके लिए सत्य के प्रति निष्ठा
जरूरी है जो कि स्वतंत्रता और समग्र मानव विकास की एकमात्र गारंटी है। सार्वभोमिक सत्य
के प्रति संवेदनशीलता विशिष्ट हितों के कारण कदापि विलोपित न हो क्योंकि यह नये प्रकार
के सामाजिक विभाजन या भेदभाव को उत्पन्न करेगी। वस्तुतः भिन्नताओं या सांस्कृतिक विविधताओं
को सहने के खतरे से दूर, सत्य की खोज संभाव्य सर्वानुमति को समर्थ बनाती है, पब्लिक डिबेट
को तार्किक, ईमानदार और जिम्मेवार रखती है एवं एकता सुनिशिचत करती है । कलीसिया की भौतिक,
बौद्धिक और आध्यात्मिक उदारता की परम्परा के आलोक में मेरा दृढ़ विचार है कि काथलिक समुदाय
अन्य कलीसियाई समुदायों के सदस्यों और धर्मसमाजियों के साथ जो इस देश और इसके बाहर अधिक
मानवीय बन और मानवीकरण मूल्य को धारण कर विकास लक्ष्यों के लिए काम करता रहेगा।
प्रिय
मित्रो, इस शहर के गिरजाघरों, किलाओं, चोराहों और पुलों की भव्य सौमदर्य हमारे मन को
बरबस ईश्वर की और आक्रषित करते हैं। उनका सौंदर्य़ विश्वास को व्यक्त करता है। यह कितना
त्रासदीपूर्ण होगा यदि कोई व्यक्ति इनके सौंदर्य़ को स्वीकार करे लेकिन उस पारलौकिक रहस्य
से इंकार करे जिसकी ओर ये इंगित करते हैं। शास्त्रीय परम्परा और सुसमाचार के सृजनात्मक
साक्षात्कार मानव और समाज के ऐसे दर्शन को जन्म दिया जो हमारे मध्य ईश्वर की उपस्थिति
के प्रति जागरूक है। सभ्यता के वर्तमान चौराहे पर यूरोप की अपनी ख्रीस्तीय जड़ों के प्रति
निष्ठा के द्वारा विशिष्ठ बुलाहट है कि निजी, सामुदायिक और राष्ट्रों के सामान्य हितार्थ
अपनी पहलों की सेवा में इस पारलौकिक दर्शन को धारण किये रहे।
युवा यूरोपवासियों
के प्रशिक्षण को प्रोत्साहन देने का महत्वपूर्ण काम है जो ईश्वर प्रदत्त उनकी क्षमताओं
का आदर करे और पोषण प्रदान करे ताकि वे उन सीमाओं के पार जा सकें जो उन्हें यदा कदा कैद
करती प्रतीत होती हैं। खेल, कलात्मक और अकादमिक क्षेत्र में युवा उतकृष्टता के अवसर
का स्वागत करते हैं। उच्च आदर्शों के साथ ही सहानुभूति और अच्छाई के जीवन तथा नैतिक सदगुणों
के लिए लालायित रहें। अभिभावकों और सामुदायिक नेताओं को सहर्ष उत्साहित करता हूँ जो चाहते
हैं कि अधिकारी जन बौद्धिक, मानवीय और आध्यात्मिक पहलूओं के एकीकृत करने के मूल्यों का
प्रसार करें तथा युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप ठोस शिक्षा उपलब्ध करायें।
सत्य
की जीत होती है। सत्य सौंदर्य़ और भलाई की प्यास जिसे सृष्टिकर्ता ने सबलोगों में डाला
है यह सबलोगों को न्याय, स्वतंत्रता और शांति की खोज में एक दूसरे के निकट लाये। मानव
ह्दय की श्रेष्ठता और व्यापकता पर सत्य को समझ सकने की इसकी क्षमता पर हम अपने भरोसे
को बढ़ायें, तथा यह विश्वास राजनीति और कूटनीति के धैर्य़पूर्ण कार्य़ में हमें मार्गदर्शन
प्रदान करने दें।