बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 23 सितंबर,
2009
वाटिकन सिटी, 23 सितंबर, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने पौल षष्टम सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित
किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज
की धर्मशिक्षा माला में हम ग्यारहवीं शताब्दी के कंटेरबरी के संत अन्सेल्म के जीवन पर
मनन-चिंतन करते हैं।
अन्सेल्म की शिक्षा-दीक्षा उत्तर इटली के आवोस्ता शहर में
हुई। बाद में अन्सेल्म ने बेनेदिक्त मठवासी बनने केलिये नोर्मानदी के बेक मठ में प्रवेश
किये।
वहाँ पर उन्होंने पाभिया के मठाधीश लनफ्रंक के निर्देशन में अध्ययन किया
और प्रार्थना में लीन रहे। और पढ़ाई-लिखाई समाप्त करने के बाद उन्हें बेक का अबोत्त या
मठाधीश बनाया गया।
फिर बाद में उन्हें कंटेरबरी का महाधर्माध्यक्ष की ज़िम्मेदारी
सौंपी गयी। इंगलैंड में अन्सेल्म ने कलीसिया को मजबूत करने का पूरा प्रयास किया।
इसी
समय कलीसिया को नोरमनों के आक्रमण झेलने पड़े और अन्सेल्म को कलीसिया की स्वतंत्रता के
लिये कदम उठाने पड़े।
परिणामस्वरूप उन्हें तीन साल के लिये निर्वासित होना पड़ा।
संत अन्सेल्म धर्मगुरु होने के साथ-साथ एक अच्छे शिक्षक और लेखक भी थे।
एक आध्यात्मिक
गुरु के रूप में भी उनके विचारों की भी बहुत कद्र की जाती थी।
उन्होंने एक किताब
लिखी जिसे ' प्रोसलोजियोन ' के नाम से जाना जाता है जिसमें उन्होंने विश्वास को समझने
की इच्छा को व्यक्त किया है। इस किताब में उन बातों की भी जानने की इच्छा व्यक्त की
है ताकि वे ईश्वरीय सत्य को जाने और उन्हें प्यार करे।
आज संत अन्सेल्म की मध्यस्थता
से हम प्रार्थना करें कि वे हमें प्रेरित करें ताकि हम ख्रीस्तीय जीवन के रहस्यों पर
चिन्तन करें, ईश्वर को सारे मन-दिल से प्रेम करें और उसी की इच्छा के अऩुसार अपना जीवन
बितायें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने उपस्थित
लोगों से यह निवेदन किया कि वे इस सप्ताह के अन्त में होने वाली चेक रिपब्लिक की उनकी
यात्रा की सफ़लता के लिये प्रार्थना करें।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, भारत स्कॉटलैंड,
और नोर्वे के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की
कृपा और शांति की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।