2009-09-22 12:14:59

संयुक्त राष्ट्र संघः जलवायु शिखर सम्मेलन में चीन एवं भारत के निर्णय पर लगी विश्व की आँखें


न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय भवन में, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें अधिवेशन से एक दिन पूर्व, मंगलवार को, अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित विश्व के 100 नेता जलवायु परिवर्तन पर बातचीत हेतु एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग ले रहे हैं।
उक्त बैठक का उद्देश्य दिसम्बर माह में कोपेनहागन में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित शिखर सम्मेलन से पूर्व एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर सहमति बनाना है। पर्यावरण का रक्षा एवं जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोकने के लिये एक नवीन ऊर्जा क्रान्ति किस तरह आरम्भ की जाये इस पर बैठक में विशद विचार विमर्श किया जा रहा है। इस विषय में अमरीका के राष्ट्रपति के मतों पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ साथ सदस्य देश चीन और भारत पर अपनी दृष्टि लगाये हैं क्योंकि विश्व की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग इन्हीं देशों में जीवन यापन करता है। अस्तु जलवायु परिवर्तन पर इन देशों के निर्णयों को अहं माना जा रहा है।
ब्रिटेन के ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन मामलों के मंत्रि एड मिलिबैंड ने आशा व्यक्त की है उक्त बैठक में कोई सहमति ज़रुर बन पायेगी। मिलिबैंड मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी अंतरराष्ट्रीय संधि के लिये सम्पूर्ण विश्व को कुछ ऐसे क़दम उठाने होंगे जो अभी तक न उठाए गए हैं उदाहरणार्थ ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते हुए उत्सर्जन को कम करने के प्रयास तथा एक ऐसी व्यवस्था की संरचना जिसके तहत सभी देश जलवायु परिवर्तन पर किये अपने वादों को निभाएं और उनके प्रति संकल्परत रहें।
संयुक्त राष्ट्र में चर्चा के बाद जी 20 देशों की अमरीकी शहर पिट्टसबर्ग में बैठक होने जा रही है। ब्रिटेन के पर्यावरण मंत्री, एड मिलीबैंड ने ये बात स्वीकार की कि धरती के बढ़ते तापमान पर नई संधि में अभी बहुत कुछ करना शेष है।










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