पब्लिक डिबेट में धर्म या विश्वास संबंधी बातें महत्वपूर्ण
ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने लोजरवातोरे रोमानो समाचार पत्र को दिये
एक साक्षात्कार में कहा कि विश्वास संबंधी बातों को पब्लिक डिवेट अर्थात सार्वजनिक वाद
विवाद से अनुपस्थित नहीं रहें। उन्होंने कहा कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा उस समय आरम्भ
हुई जब उन्होंने अपनी पत्नी के साथ ख्रीस्तयाग में भाग लेना शुरू किया और अपने बच्चों
को काथलिक धर्म में बपतिस्मा संस्कार दिलवाया। यह आध्यात्मिक यात्रा लगभग 25 साल की है।
उन्होंने कहा कि भावनात्मक, बौद्धिक और तार्किक दृष्टिकोण से काथलिक धर्म उन्हें अपने
अनुकूल लगा। काथलिक धर्म स्वीकार करने के पीछे उनकी पत्नी का प्रभाव सहित वाटिकन में
संत पापा जोन पौल द्वितीय के साथ उनकी निजी प्रार्थनालय में उपस्थिति ने उन्हें काथलिक
धर्म की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि काथलिक धर्म की सार्वभौमिक प्रकृति उन्हें
सबसे अधिक आकर्षित करती है। सार्वभौमिक कलीसिया एक विश्वव्यापी संस्थान बनने का महत्वपूर्ण
नमूना है। उन्होंने कहा कि संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के नवीनतम प्रेरितिक पत्र कारितास
इन वेरिताते को उन्होंने कई बार पढ़ा है। वे संत पापा की इस बात को रेखांकित करते हैं
जिसमें उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक संदर्भों में सार्वजनिक
स्थल में ईश्वर को स्थान दिया जाये। उन्होंने कहा कि अनेक लोग धर्म को सार्वजनिक विचार
विमर्श के स्थलों से दूर रखना चाहते हैं लेकिन वे व्यक्तिगत तौर पर मानते हैं कि धर्म
की महत्वपूर्ण भूमिका है इसका अर्थ यह नहीं है कि विवादों और संघर्षों का समापन हो जायेगा।
बल्कि इसके विपरीत अनेक विषयों में संभवतः कलीसिया के विचार एक ओर होंगे तो राजनैतिक
नेताओं के दूसरी ओर। उनका विचार है कि धर्म को यह अधिकार मिलनी चाहिए कि पब्लिक डिवेट
में प्रवेश करे और अपनी बात रखे।