वाटिकन सिटीः कार्डिनल ने धर्माध्यक्षों के लिये अनिवार्य सदगुणों को गिनाया
रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में मंगलवार को वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो
बेरतोने ने विगत वर्ष के दौरान अभिषिक्त काथलिक धर्माध्यक्षों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित
किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने नवाभिषिक्त धर्माध्यक्षों के प्रति कलीसिया
के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की ओर से हार्दिक मंगलकामनाएँ व्यक्त की तथा
काथलिक धर्मानुयायों की प्रेरिताई के लिये धर्माध्यक्षों की भूमिका को अति महत्वपूर्ण
एवं अपरिहार्य निरूपित किया।
प्रवचन में कार्डिनल बेरतोने ने सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें द्वारा धर्माध्यक्षों को विगत शनिवार को सम्बोधित शब्दों का स्मरण कराया तथा कहा
कि विश्वसनीयता, विवेक एवं परोपकारिता ऐसे सदगुण हैं जिनका धर्माध्यक्षों में होना नितान्त
आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन गुणों की अनुपस्थिति में धर्माध्यक्ष एक नीरस एवं कठोर
प्रशासक मात्र बन सकता है।
विश्वसनीयता की व्याख्या करते हुए कार्डिनल महोदय
ने कहा कि धर्माध्यक्ष को कलीसिया का सत्य निष्ठ सेवक होना चाहिये। ऐसा सेवक जो खुद के
लिये नाम, धन एवं सत्ता की खोज न करे बल्कि ईश इच्छानुसार सबके कल्याण के लिये कार्य
करे।
विवेक की व्याख्या करते हुए कार्डिनल बेरतोने ने कहा कि धर्माध्यक्ष को
सदैव विनम्र, अनुशासित एवं सचेत रहना चाहिये तथा अपनी बुद्धि से अधिक ईश वचन पर भरोसा
रखना चाहिये ताकि पूर्वधारणाओं से मुक्त रहकर धर्माध्यक्ष अपने विचार प्रकट सके। ऐसे
विचार जो निष्पक्ष हों तथा सत्य और केवल सत्य पर आधारित हों।
इन सदगुणों के अतिरिक्त
धर्माध्यक्ष में भलाई एवं परोपकारिता का होना कार्डिनल महोदय ने अनिवार्य बताया। उन्होंने
कहा कि अन्यों के प्रति उदार रहना तथा आन्तरिक रूप से ईश्वर के प्रति अभिमुख रहना धर्माध्यक्षों
का दायित्व है।
ख्रीस्तयाग प्रवचन समाप्त करते हुए कार्डिनल बेरतोने ने कहा कि
ख्रीस्तीय धर्मानुयायी विश्वसनीय साक्षियों को देखने की बाट जोहते तथा अपने मेषपालों
द्वारा मार्गदर्शन चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज ऐसे समर्पित धर्माध्यक्षों की आवश्यकता
है कि जो ज़िम्मेदारी के साथ अपने लोगों को ईश्वर एवं सत्य की ओर अग्रसर कर सकें।