धर्माध्यक्ष ईमानदार, वफादार औऱ भले सेवक बनें - संत पापा
वाटिकन सिटी, 12 सितंबर, 2009। संत पापा ने कहा कि पुरोहितों और धर्माध्यक्षों का चयन
मनुष्य नहीं, खुद ईश्वर करते हैं ताकि उन चुने हुए लोगों के द्वारा सुसमाचार का प्रचार
हो और चुना हुआ व्यक्ति दूसरा येसु बन सके।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं
जब वे 12 सितंबर को संत पेत्रुस महागिरजाघर में सम्पन्न धर्माध्यक्षीय अभिषेक समारोह
की अध्यक्षता करते हुए उपस्थित लोगों को अपने प्रवचन दिये।
संत पापा ने कहा कि
अभिषिक्त व्यक्ति प्रभु बुलाते हैं ताकि वह ईश्वरीय शक्ति से पूर्ण होकर ईश्वर और लोगों
के प्रति वफादार होकर कार्य करे। संत पापा ने पुरोहिताई के अर्थ को समझाते हुए कहा कि
पुरोहित का जीवन सेवा का जीवन है।
जैसा कि येसु ने खुद ही कहा का कि वे सेवा
कराने नहीं आये पर सेवा करने आये हैं और अपने कथन के अऩुसार ही उन्होंने अपने दुनिया
के लिये जीवन का बलिदान करा दिया।
समर्पित जीवन की दूसरी विशेषता बतलाते हुए
संत पापा ने कहा कि पुरोहितों को चाहिये कि वे दूरदर्शी हों अर्थात् वे नम्र बनें, संयमी
रहें और सदा ही सत्य की खोज में लगे रहें।
संत पापा ने पुरोहितों और धर्माध्यक्षों
के तीसरे गुण की चर्चा करते हुए कहा उन्हें एक भला नौकर के समान होना चाहिये जो सबकी
भलाई करता हो।
संत पापा ने अपने प्रवचन में माता मरिया की चर्चा की और कहा कि
12 सितंबर का दिन इस लिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस कलीसिया माता मरिया के पावन
नाम का त्योहार मनाती है।
माता मरिया ने अपने नाम के अनुसार ही सबों के लिये
विश्वास और आस्था का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। मरिया का अर्थ है ' समुद्र का तारा
' ।
संत पापा ने उपस्थित लोगों से कहा कि प्रार्थना करें ताकि नवअभिषिक्त धर्माध्यक्ष
वफ़ादार सेवक बनें और ईमानदारी पूर्वक ईश्वर और लोगों की सेवा कर सकें।