संत पापा ने संत अगुस्टीन पर एकतावर्द्धक अध्ययन की प्रशंसा की
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम में सम्पन्न हो रहे तीन दिवसीय 11 इंटर क्रिश्चियन
सिमपोशियम गोष्ठी में भाग ले रहे आर्थोडोक्स और काथलिक ईशशास्त्रियों से आग्रह किया है
कि वे संत अगुस्टीन पर अध्ययन कर दोनों परम्पराओं को संकेन्द्रित करनेवाले बिन्दुओं की
खोज करें। उक्त बातें संत पापा ने ख्रीस्तीय एकता संबंधी पराधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष
कार्डिनल वाल्टर कास्पर को प्रेषित पत्र में लिखा। 3 सितमबर से आरम्भ काथलिक आर्थोडोक्स
संगोष्ठी का आयोजन the Franciscan Institute of Spirituality of the Pontifical University
Antonianum and the Aristotle Orthodox Theological Faculty of Thessalonica. ने किया
है। इस गोष्ठी का लक्ष्य ख्रीस्तीय एकता का प्रसार करना है। इस गोष्ठी के अध्ययन का
विषय हैः पूर्वी और पश्चिमी परम्परा में संत अगुस्टीन। संत पापा ने कहा कि यह विषय परस्पर
चिंतन के लिए सार्थक हाँ। हिप्पो के संत लैटिन चर्च के महान धर्माचार्य़ हैं वस्तुतः ईशशास्त्र
तथा पाश्चात्य संस्कृति में उनका मौलिक महत्व है। आर्थोडोक्स ईशशास्त्र में उनके विचारों
को स्वीकार किये जाने में कुछ समस्याएँ हैं। इसलिए धर्मसैद्धांतिक और आध्यात्मिक समृद्धि
जो पूर्वी और पश्चिमी ख्रीस्तीयता की विरासत की रचना करते हैं इन्हें ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
और भ्रातृत्वमय भावना में जानना, न केवल उन्हें स्वीकार करना अपितु सब ख्रीस्तीयों के
मध्य बेहतर परस्पर सराहना के लिए प्रसार करना अपरिहार्य़ है। संत पापा ने कहा उनकी आशा
है कि यह गोष्ठी सफल होगी तथा ईश्वर के शहर के निर्माण के लिए धर्मसैद्धांतिक और आध्यात्मिक
संकेन्द्रीयता के बिन्दुओं की खोज करने में उपयोगी होगी जहाँ सब लोग सामान्य विश्वास
के सत्य पर आधारित शांति एवं भ्रातृत्वमय उदारता पर जीवन जी सकेंगे।