संतान को ईश्वर की ओर प्रेरित करने वाले माता-पिता प्रशंसनीय - संत पापा
कास्तेल गंदोल्फो, 31 अगस्त, 2009। संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है कि जो माता-पिता
अपने बच्चों को इस बात के लिये मदद देते है कि उन्हें ईश्वरीय जीवन प्राप्त हो, वे प्रशंसा
के पात्र हैं।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय की जब वे कास्तेल गंदोल्फो स्थित
अपने ग्रीष्मकालीन आवास में आयोजित रविवारीय देवदूत प्रार्थना के समय संत अगुस्टीन और
उनकी माता संत मोनिका के जीवन पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे।
उन्होंने आगे
कहा कि संत मोनिका माताओं की आर्दश और प्रेरणा है। कलीसिया ने उनका पर्व गुरुवार 29
अगस्त को मनाया।
उन्होंने आगे बताया कि संत मोनिका ने अपने पुत्र के मनफिराव
के लिये लगातार प्रार्थना करती रही और ईश्वर ने उनकी प्रार्थना सुनी और उनके पुत्र अगुस्तीन
का मनफिराव हुआ।
संत पापा ने आगे कहा कि संत अगुस्टीन इस बात को बार-बार दुहराया
करते थे कि उनकी माँ ने उन्हें दो बार जन्म दिया।
संत पापा ने इस बात को भी बताया
कि काथलिक कलीसिया के इतिहास में ऐसा कई बार हुआ कि अच्छे ख्रीस्तीय परिवारों ने पुरोहितों
की मदद की और लोगों के लिये अच्छा नमुना पेश किया।
उन्होंने कहा कि जब माता
और पिता अपने जीवन को ईश्वर की सेवा में लगा देते हैं और अपने बच्चों कि देख-रेख भली-भांति
करते हैं तो ऐसे परिवारों से अवश्य ही वैसी संतान पैदा होंगे जो अपने आपको ईश्वर और लोगों
की सेवा के लिये समर्पित कर पायेंगे।
संत पापा ने यह भी कहा कि पवित्र विवाह
और ईश्वर के लिये आजीवन कुँवारा रहना एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं क्योंकि इन दोनों ख्रीस्तीय
जीवन की नींव है येसु को अपने आप को येसु के लिये समर्पित करना ।