भोपाल, 31 अगस्त, 2009। मध्यप्रदेश के ईसाइयों ने पिछले वर्ष उड़ीसा में हुए ईसाई विरोधी
हिंसा में मारे गये लोगों की याद में 25 अगस्त को भारतीय ईसाई शहीद दिवस के रूप में बिताया
और प्रार्थनायें कीं और रक्तदान किया।
इस अवसर पर बोलते हुए भोपाल के महाधर्माध्यक्ष
लेओ कोरनेलियो ने कहा कि ईसाई समुदाय उड़ीसा में ईसाइयों पर हुई हिंसा से दुःखी है और
अपने ख्रीस्तीय विश्वास के लिये किये गये उनके बलिदानों की सराहना करती है।
उन्होंने
यह भी बताया कि इस दिन को काथलिक कलीसिया ने आधिकारिक तौर पर शहीद दिवस घोषित नहीं की
है फिर भी वे चाहते हैं कि शहीदों के कार्यों को आगे बढ़ाया जाये।
उन्होंने बताया
कि मध्यप्रदेश की ख्रीस्तीय महासभा चाहती है कि इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया
जाये। महासभा के संयोजक फादर आनन्द मुत्तुंगल ने कहा है कि संत थोमस के समय से ही भारतीय
ईसाई अपने शहीदों को सम्मान देते रहे हैं।
ज्ञात हो कि यह विश्वास किया जाता
है कि प्रेरित संत थोमस ने ही भारत में ईसाई धर्म की नींव डाली और उन्हें भी चेन्नय में
शहीद होना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि देने का सबसे उत्तम
तरीका है कि हम भी अपना रक्तदान करे।
ईसाई महासभा की महिला वर्ग की अध्यक्षा
शीला सान्तियागो ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो ख्रीस्तीय विश्वास की रक्षा के लिये
वे भी अपना रक्त बहाने से पीछे नहीं हटेंगी।
उन्होंने कहा कि जब भी ईसाई अपने
विश्वास की रक्षा के लिये अपने जीवन का बलिदान करते हैं तो यह व्यर्थ कभी नहीं जाता है।
महासभा के अध्यक्ष जोशी कुरिसुंगल ने कहा है कि कलीसिया का निर्माण ही शहीदों
के रक्त से सिंचित होता रहा है और इससे कलीसिया मजबूत हुई है।