2009-08-28 16:47:10

आंध्रप्रदेश विधानसभा द्वारा ईसाई बने दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की अपील


भारत के आंध्रप्रदेश राज्य की विधानसभा ने 26 अगस्त को केन्द्रीय सरकार से आग्रह किया कि वह ईसाई बने अनुसूचित जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए कदम उठाये। राज्य के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी ने विधानसभा में इस आशय का संकल्प प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय सरकार से भारतीय संविधान में संशोधन करने की अपील किया ताकि दलित ईसाईयों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त हो सके। इस विधेयक को कांग्रेस, मुख्य विपक्षी दल तेलगुदेशम पार्टी, प्रजा राज्यम, तेलांगाना राष्ट्र समिति, एमआईएम मजलिस ए इतेहादुल मुस्लिमीन, कम्यूनिस्ट पार्टी ओफ इंडिया तथा मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के विधायकों ने समर्थन दिया जबकि भाजपा और लोक सत्ता पार्टी ने विरेध किया। मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि दलित ईसाईयों को अनुसूचित दर्जा प्रदान करने की जरूरत है क्योंकि वे अनुसूचित जाति के हिन्दुओं के समान ही भेदभाव का सामना करते हैं। दलित ईसाईयों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने से वे भी अन्य अनुसूचित जातियों के समान ही राजनैतिक अधिकारों का उपयोग करते हुए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सुविधाओं का फायदा ले सकेंगे। एमआईएम ने इस्लाम धर्म अपनानेवाले दलितों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने की माँग की। मुख्यमंत्री ने विधानसभा को आश्वासन दिया कि इसके प्रति राज्य सरकार का सकारात्मक झुकाव है। विधानसभा द्वारा पारित इस संकल्प का ख्रीस्तीय नेताओं ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस मुददे पर 1950 में पारित संवैधानिक आदेश में संशोधन होने से दलित ईसाईयों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान किये जाने की दीर्घकाल से प्रतीक्षित माँग पूरी हो सकेगी। आंध्रप्रदेश फेडेरेशन औफ चर्चेज के कार्यकारी सचिव फादर अंतोनी राज थुम्मा ने कहा कि दलित सिखों और दलित बौद्धों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने के लिए संवैधानिक आदेश में दो बार संशोधन किया गया है।








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