बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 26 अगस्त,
2009
कास्तेल गंदोल्फो, 12 अगस्त, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने कास्तेल गंदोल्फो स्थित अपने ग्रीष्मकालीन आवास के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों
को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा – अतिप्रिय
भाइयो एवं बहनों, ग्रीष्मकालीन अवकाश ने मुझे वह सुनहला अवसर प्रदान किया है जिसमें मैं
ईश्वर को प्रकृति के लिये धन्यवाद दूँ। आज मैं प्रकृति और ईश्वर के संबंध के बारे में
ही मनन-चिन्तन करना चाहूँगा। ईश्वर ने हमें प्रकृति का संरक्षक बनाया है।
आज
मैं विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को अपनी कृतज्ञता प्रकट करना
चाहता हूँ जिन्होंने सदा ही मेरा सहयोग किया है। संत पापा ने कहा कि आने वाले दिनों में
वे संयुक्त राष्ट्र संघ में जलवायु परिवर्त्तन विषय पर विचार-विमर्श में हिस्सा लेंगे।
संत पापा ने आगे कहा कि यह धरती सचमुच मानव के लिये एक अमूल्य वरदान है। काथलिक कलीसिया
सदैव यह बताती रही है कि वह पर्यावरण की रक्षा के लिये समर्पित है क्योंकि मानव का विकास
प्रकृति से जुड़ा हुआ है।
संत पापा ने आगे कहा कि कारितास इन वेरिताते में उन्होंने
इस बात को बताने का प्रयास किया है कि आज एक-दूसरे को बचाने और मदद देने की एक नैतिक
ज़रूरत पैदा हो गयी है जो न केवल व्यक्तियों और राष्ट्रों के बीच हो पर प्रकृति के साथ
भी हो।
इतना ही इस संबंध में संत पापा ने आगे कहा कि ग़रीबों और आने वाली पीढ़ी
की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा जाये।
इसलिये मैं आज बल देकर कहना चाहता हूँ कि
प्रत्येक सरकार और अंतरराष्ट्रीय समूदाय का यह परम कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा
करे। और यही संदेश वह सभी व्यक्तियों को दे ताकि लोग सबों के साथ और सृष्टि के साथ सौहार्दपूर्ण
संबंध बनाये रखेँ।
ऐसा करने से ही एक ऐसा मानव समाज का निर्माण होगा जिससे उन
सबों का हित होगा जो आज इस दुनिया में हैं और उनका भी जो इस धरती के निवासी बनेंगे।
और
तब ही हम भूख और अन्य मानवीय विपदायों से मुक्ति प्राप्त कर पायेंगे। जब हम हरएक मानव
को मानव होने की मर्यादा दे पायेंगे तब ही सब लोग इस धरती में ईश्वरीय प्रेम की एक झलक
पा सकेंगे। इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने भक्तों,
तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति
की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।