2009-08-21 17:17:46

खीस्त के क्रूस में हमारी ताकत, आशा और आनन्द हैः महाधर्माध्यक्ष चिन्नाथ


भारत के उड़ीसा राज्य में विशेष रूप से कंधमहाल में विगत वर्ष व्यापक स्तर पर ईसाईयों के विरूद्ध हुई हिंसा और आगजनी की घटनाओं की रविवार 23 अगस्त को प्रथम बरसी है । माओवादियों द्वारा स्वामी लक्षमणानंद सरस्वती की हत्या के बाद चरमपंथी हिन्दुओं ने बदले की भावना में निर्दोष ईसाईयों पर हमला किया था। कटक भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष रफायल चिन्नाथ ने एशिया समाचार सेवा से कहा कि उक्त घटनाओं को हुए एक वर्ष हो रहा है। अनेक लोग विस्थापित हो गये हैं लेकिन काफी लोग अपने घरों को औट गये हैं। यद्यपि चरमपंथियों से हमारे लोगों को अब भी खतरा है, जो घरों और गिरजाघरों के पुर्ननिर्माण किये जाने का विरोध करते हैं तथा यदा कदा प्रशासन के कार्य़ करने की गति बहुत धीमी है तथापि प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि चरमपंथी ताकतों का उददेश्य ईसाईयत को मिटा देना था लेकिन हमारा मिशन कार्य़ जारी रहेगा। उन्हें पीड़ा और कष्ट के बावजूद लोगों द्वारा ईसाई बने रहने के लिए प्रदर्शित विश्वास और दृढ़ता से सांत्वना और बल मिलता है। महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि पुरोहित के रूप में अपनी बुलाहट पर चिंतन करने का यह समय है। सेवा करने की बुलाहट करने के जवाब में हमें संसार में हो रहे नये विकास पर चिंतन करना तथा नवीन प्रेरितिक चुनौतियों का सामना करना है। पुरोहितों को समर्पित वर्ष में पुरोहित की बुलाहट हमें कृपा देते हुए ईश्वर की प्रजा की सेवा में सर्वस्व अर्पित करने का निमंत्रण देती है। महाधर्माध्यक्ष चिन्नाथ ने कहा कि कलीसिया द्वारा संचालित शिक्षा और अन्य मिशनरी कार्यों ने सबसे निर्धन और कमजोर वर्ग के लोगों का सशक्तिकरण किया तथापि चरमपंथी भीड़ ने निर्दयतापूर्वक इन्हें नष्ट किया। उन्होंने समाज के निर्धनों और समाज के वंचित तबके के लिए उदारतापूर्वक अपनी सेवा और सहायता उपलब्ध करानेवाले पुरोहितों और धर्मबहनों को निशाना बनाया। महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि पीड़ा और सतावट के बावजूद उनका मिशन जारी रहेगा क्योंकि खीस्त का क्रूस उनकी ताकत, आशा और आनन्द है।








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