बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 19 अगस्त,
2009
कास्तेल गंदोल्फो, 19 अगस्त, जून, 2009। बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने कास्तेल गंदोल्फो स्थित अपने ग्रीष्मकालीन आवास के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों
तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा
– प्रिय भाइयो एवं बहनों, धार्मिक शिक्षामाला को जारी करते हुए आज हम संत जोन यूदस
के जीवन पर चिन्तन करें जिसका पर्व आज हम मना रहे हैं। संत जोन यूदस जन्म सत्रहवीं सदी
में फ्रांस में हुआ था।
उनके जीवन में विश्वास के संबंध में कई तकलीफें आयीं
पर उन्होंने उसका सामना साहसपूर्वक किया और इस संबंध में लोगों का मार्गदर्शन भी किया।
संत जोन यूदस के एक योगदान को जिसे कलीसिया कभी नहीं भूल सकती है वह है एक धर्मसमाज
की स्थापना करना जो धर्मप्रांतीय पुरोहितों के प्रशिक्षण के लिये कार्य करती है।
संत
जोन यूदस ने धर्मप्रांतीय पुरोहितों को सदा प्रोत्साहन दिया और कहा कि उन्हें पवित्र
पुरोहित बनना है।
उन्होंने यह भी कहा कि पुरोहितों को चाहिये कि वे येसु में
अपनी पूरी आस्था रखें जिनके द्वारा ईश्वर ने दुनिया के लिये अपने प्रेम को दिखलाया है।
येसु का ह्रदय एक सच्चे पुरोहित का ह्रदय था और माता मरिया का दिल में येसु के
ह्रदय के समान था जो ईश्वर पर पूर्ण रूप से आश्रित था।
रोहितों के वर्ष में आइये
हमे पुरोहितों और सेमेनेरियनों के लिये प्रार्थना करें ताकि वे संत जोन यूदस के जीवन
से प्रेरणा लें और आध्यात्मिक रूप से वे येसु के ह्रदय में प्रवेश करें और येसु के समान
ही लोगों के जीवन में ईश्वरीय प्रेम, दया विनम्रता और धैर्य की धारा बहायें ताकि लोगों
के जीवन को नवीन कर दें। इससे पुरोहितों का जीवन तो पवित्र होगा ही और उनके किये कार्यों
से विश्वासियों को भी ईश्वरीय आशिष प्राप्त होगी। इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश
समाप्त किया।
उन्होंने भारत, नाइजिरीया विश्व विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों और उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते
हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।