मनीला अनुभव एशियाई कलीसियाई जीवन को जानने का एक सु्अवसर- धर्माध्यक्ष जेर्जी
मनीला, 15 अगस्त, 2009। मनीला में चल रहे नवें एशियन धर्माध्यक्षों की महासभा में आये
धर्माध्यक्ष जेर्जी मकुलेविक्ज ने कहा है कि यह सभा उनके लिये एशियाई कलीसियाई जीवन
को जानने का एक सुवासर है। धर्माध्यक्ष जेर्जी उजबेगिस्तान के प्रेरितिक प्रशासक
हैं और पहली बार धर्माध्यक्षों की पूर्वकालिक महासभा में हिसा ले रहे हैं। 54 वर्षीय
धर्माध्यक्ष ने उकान को बताया कि उजबेगिस्तान में काथलिकों की संख्या बहुत कम है और उनकी
स्थिति नेपाल या तिमोर लेस्ते के समान हैं इसलिये उन्हें उन देशों के धर्माध्य़क्षों के
अनुभवों से सीखने का एक अच्छा अवसर मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि उजबेगिस्तान
में अब भी लोग रूसी भाषा का प्रयोग करते हैं और उन्होंने आशा व्यक्त की है कि भविष्य
में स्थानीय भाषा में ही कलीसियाई क्रिया-कलापों को सम्पन्न किया जायेगा। धर्माध्यक्ष
इस बात से भी उकान समाचार को अवगत कराया कि उजबेगिस्तान की काथलिक कलीसिया सिर्फ़ सौ
साल की है और वहाँ काथलिक अल्पसंख्य हैं और अन्य लोगों को सुसमाचार के बारे में कम जानकारी
है। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि यूखरिस्तीय समारोह जो ईसाई जीवन के केन्द्र है
एक दिन उजबेगिस्तान की कलीसिया को स्थायित्व प्रदान करेगा और ख्रीस्तीय परमप्रसाद से
प्रेरित होकर येसु मसीह के प्रेम का साक्ष्य दे पायेंगे।