लोकधर्मी पी सी अब्राहम के निधन पर केरल में कलीसिया ने शोक मनाया
भारत के केरल राज्य में कलीसिया एक लोकधर्मी के निधन पर शोक मना रही है जिन्होंने कुछ
पुरोहितों के साथ एशिया के सबसे बड़े लोकधर्मी संगठन की स्थापना की। 84 वर्षीय पी सी
अब्राहम उर्फ कुंजेटन उर्फ लिटल ब्रदर का केरल के एक असपताल में 11 अगस्त को निधन हो
गया। वे 9 दिन पूर्व एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गये थे। उनकी अंत्येष्टि धर्मविधि
13 अगस्त को पल्लई धर्मप्रांत के अंतर्गत उनके गृह पल्ली चेम्मालामाटम में सम्पन्न होना
था। स्वर्गीय अब्राहम की पत्नी और सात बच्चे हैं। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन
के अध्यक्ष और एरनाकुलम अंगामली के कार्डिनल वर्की वित्याथिल ने अपने शोक संदेश में कहा
कि वे ऐसे व्यक्ति के निधन पर शोक मना रहे हैं जिसने आदर्श ख्रीस्तीय जीवन जीया। स्वर्गीय
अब्राहम ने हजारों युवाओं को मिशनरी बनने के लिए उत्प्रेरित किया जो भारत और विदेशों
में कार्य़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कलीसिया ने पी सी अब्राहम को उनके योगदान
चेरूपुष्पा मिशन लीग के लिए सम्मानित किया था जिसकी स्थापना 63 वर्ष पूर्व की गयी थी।
यह लीग पल्लियों में युवाओं के लिए मंच है जो चंदा संग्रह करने तथा प्रार्थना के द्वारा
मिशन कार्यों को मदद करता है तथा भारत और विदेशों में मिशनरी जीवन और मिशन कार्यों की
जरूरतों के लिए नियमित रूप से कार्यक्रमों का संचालन करता है। इस लीग के लगभग 17 लाख
सदस्य हैं तथा इसके पुराने सदस्यों में से लगभग 41 हजार 500 लोग धर्मबहन और धर्मसमाजी
के रूप में विश्व भर में कलीसिया की सेवा कर रहे हैं। इनमें 37 धर्माध्यक्ष हैं। स्वर्गीय
अब्राहम की चार पुत्रियाँ धर्मबहनें हैं। चंगनाचेरी के महाधर्माध्यक्ष जोसेफ पेरूमथोटम
ने शोक संवेदना में कहा कि कुंजेटन का निधन होना कलीसिया के लिए महान क्षति है। उन्होंने
कहा कि अब्राहम अद्वितीय लोकधर्मी मिशनरी थे जो अपने लोकधर्मी संगठन की जीवन धारा थे।
कोट्टायम के धर्माध्यक्ष मैथ्यू मूलाकाट ने कहा कि स्वर्गीय लोकधर्मी मिशनरी ने सरल जीवन
जीया तथा वे स्थानीय संत , संत अल्फोंसा की शिक्षाओं से प्रेरणा प्राप्त करते थे। संत
अल्फोंसा का जब 1946 में निधन हुआ था तो वे 21 वर्ष के थे। अब्राहम ने ऊकान समाचार सेवा
को 2008 में दिये गये एक साक्षात्कार में कहा था कि वे जब भी संत अल्फोंसा से आशीष लेने
जाते थे तो वे उनसे मिशनरियों के लिए प्रार्थना करने को कहती थीं। वे बाद में कापुचिन
सेमिनरी गये लेकिन कमजोर स्वास्थ्य के कारण उन्हें घर लौटना पडा। पालघाट के धर्माध्यक्ष
जेकब मनाथूदात ने कहा कि अब्राहम ने भारतीय कलीसिया के मिशनरी प्रेरिताई के लिए निःस्वार्छ
सेवा करते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। सीरो मालाबार चर्च में लोकधर्मी कमीशन के
सचिव चाको सेबास्तियन ने कहा कि स्व. अब्राहम हमेशा लोगों को पद या मुनाफे की चिंता
किये बिना कलीसिया की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करते थे।