नई दिल्लीः तमिल नाड में आर्थिक कारणों से दलित ख्रीस्तीय हिन्दु बने
तमिल नाड में दिन्दिगुल के निकटवर्ती गाँव में सोमवार को हिन्दु चरमपंथी दल विश्व हिन्दु
परिषद के नेतृत्व में एक धर्मान्तरण समारोह का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 200 दलित ख्रीस्तीयों
को हिन्दु बना दिया गया। बताया जाता है कि आर्थिक कठिनाईयों से तंग आकर दलित ख्रीस्तीयों
ने हिन्दु धर्म अपना लिया।
एशिया समाचार से बातचीत में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन के तमिल नाड प्रवक्ता फादर कॉसमोन आरोक्यराज ने सरकार पर विश्व हिन्दु परिषद
के हिन्दुत्व एजेन्डे को समर्थन देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संविधान में अनुसूचित
जातियों को कई आर्थिक लाभ दिये जाते, सरकारी नौकरियों में उनके लिये आरक्षण होता है तथा
वे मुफ्त आवास आदि के अधिकारी होते हैं किन्तु इन लाभों से दलित ख्रीस्तीयों को वंचित
रखा जाता है।
उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि अनुसूचित जातियों
पर भारतीय संविधान का तीसरा पेरा या सन् 1950 का राष्ट्रपति आदेश सरासर भेदभावपूर्ण है
जिसमें लिखा है, "कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिन्दु धर्म से किसी अलग धर्म का अनुपालन करता
अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता।"
फादर आरोक्यराज ने कहा कि आर्थिक
लाभों एवं सुविधाओं को केवल एक समुदाय तक सीमित रखकर उक्त आदेश ने धर्म के आधार पर सम्पूर्ण
दलित समुदाय में विभाजन उत्पन्न कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि जाति एवं सामाजिक आर्थिक
रूप से पिछड़े होने के आधार पर सुविधाएँ प्रदान करने के बजाय जाति एवं धर्म से सम्बन्ध
को समस्या माना जा रहा है।
फादर आरोक्यराज ने कहा कि आर्थिक विकास एवं सामाजिक
दमन साथ-साथ नहीं चल सकते। दलितों के एक वर्ग को सिर्फ इसलिये विकास प्रक्रिया से अलग
कर देना कि वे ख्रीस्तानुयायी हैं सरासर अन्याय है जिसका कलंक सम्पूर्ण देश पर लगेगा
तथा विकास को अवरुद्ध करेगा।