उड़ीसा में फास्ट ट्रेक अदालत ने ईसाई विरोधी हिंसा में भाग लेने वाले 5 लोगों को सज़ा
सुनायी
उन्हें सश्रम कारावास और 5-5 हजार रूपये का जुर्माना अदा करने की सज़ा दिये जाने का कलीसियाई
नेताओं ने स्वागत किया है। कटक भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष रफायल चिन्नथ ने 28 जुलाई
को कहा कि यह सकारात्मक विकास है जो लोगों को न्याय दिलाने के पथ में सहायक होगा। उन्होंने
कहा कि दंगा प्रभावित गाँवो के ईसाई अब भी आतंक के साये में जीवन जी रहे है क्योंकि हिंसा
का षडयंत्र करने और हमलों का नेतृत्व करनेवाले अनेक लोग स्वतंत्र होकर घूम रहे हैं। महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि सज़ा दिये जाने के इस फैसले से अब लोग अपने गाँवों में वापस जाकर नये सिरे
से अपना जीवन आरम्भ कर सकें। ज्ञात हो कि जून माह में फास्ट ट्रैक ने लगभग 900 मामलों
पर सुनवाई आरम्भ की है। अनुसंधान में संलग्न अधिकारियों ने लगभग 680 लोगों को गिरफ्तार
किया है जिनपर हिंसा की य़ोजना बनाने और हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
न्यायालय ने 6 मामलों की सुनवाई पूरी कर 6 लोगों को सज़ा दी है तो दूसरी ओर 15 लोगों
को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी
समस्या गवाहों के सामने प्रस्तुत खतरे हैं क्योंकि चरमपंथियों ने लोगों को बुरा अंजाम
भुगतने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि इसलिए गवाहों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाये
हैं तथा सत्य बताने के लिए लोगों को परामर्श और मदद दी जा रही है। कलीसियाई लोगों ने
27 जुलाई के न्यायालय के आदेश को बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।