देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
श्रोताओ, ग्रीष्म अवकाश व्यतीत कर रहे संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 26 जुलाई
को उत्तरी इटली के वाले दे ओस्ता पर्वतीय प्रांत में ले कोम्ब में जमा हुए श्रद्धालुओं
के साथ मध्याहन देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व दिये गये
अपने संदेश में उन्होंने कहा –
अति प्रिय भाईयो और बहनो,
रविवार का
यह दिन आपके लिए मंगलमय हो। यहाँ ले कोम्ब में हम मिल रहे हैं उस घर के समीप जिसे सलेशियन
धर्मसमाजियों ने मेरे आतिथ्य के लिए प्रस्तुत किया है। यहाँ ओस्ता घाटी के सुंदर पर्वतों
के बीच मेरे विश्राम करने की अवधि समाप्त हो रही है। इस छोटी दुर्घटना जिसे आप अच्छी
तरह से जानते हैं, इसके बावजूद मैं ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हूँ जिन्होंने आनन्द से पूर्ण
यथार्थ आराम के इन दिनों को मुझे दिया। मैं इस अवसर पर सस्नेह उन सबको धन्यवाद देना चाहता
हूँ जिन्होंने विवेक और महान समर्पण के साथ इन दिनों में मेरा साथ दिया है। मैं कार्डिनल
पोलेतो और यहाँ उपस्थित धर्माध्यक्षों का अभिवादन करता हूँ, विशेष रूप से ओस्ता के धर्माध्यक्ष
मान्यवर जुसेप्पे अनफोसी को उनके मधुर शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं ले कोम्ब
के मेयर, नागरिक और सैन्य अधिकारियों, पुलिस और आप सबको प्रिय मित्रो तथा रेडियो एवं
टेलिविजन के माध्यम से संयुक्त सबलोगों का हार्दिक अभिवादन करता हूँ।
आज, इस
सुहावने रविवार को जब प्रभु हमें सृष्टि के सौंदर्य़ को दिखाते हैं, पूजन धर्मविधि संत
योहन के सुसमाचार के अध्याय 6 के आरम्भ के पदों को प्रस्तुत करती है। यहाँ हम रोटियों
के चमत्कार की चर्चा पाते हैं। येसु ने केवल पाँच रोटियाँ और दो मछली से हजारों लोगों
को खिलाया। और फिर दूसरे चमत्कार में हम तूफानग्रस्त झील में पानी पर प्रभु को चलते हुए
देखते हैं और अंततः वह उपदेश जिसमें येसु स्वयं को जीवन की रोटी के रूप में प्रकट करते
हैं।
रोटियों के चिहन् का वृत्तांत प्रस्तुत करते हुए सुसमाचार लेखक बल देता
है कि येसु ने उन्हें बाँटने से पूर्व, आशीष की प्रार्थना कहते हुए धन्यवाद दिया। ग्रीक
क्रिया यूखरिस्तेन, और अंतिम ब्यारी के वृत्तांत की ओर सीधे निर्देशित करता है, वस्तुतः
,संत योहन यूखरिस्त संस्कार के बारे में नहीं लेकिन पद प्रक्षालन के बारे में कहते हैं।
यहाँ यूखरिस्त को जीवन की रोटी के महान चिह्न के रूप में पूर्वानुमानित प्रस्तुत किया
गया है।
पुरोहितों को समर्पित इस वर्ष में हम कैसे इस तथ्य का स्मरण
नहीं करें कि योहन के इस टेकस्ट में पुरोहित विशेष रूप से प्रतिबिम्बित होते हैं, प्रेरितों
के साथ स्वयं की पहचान करें जहाँ यह कहता हैः इन सब लोगों के लिए हम रोटी कहाँ पा सकते
हैं और उस अज्ञात लड़के के बारे में पढ़ते हुए जिसके पास पाँच रोटियाँ और दो मछली थे
हम भी तत्क्षण कहते हैं कि इतनी बड़ी भीड़ के लिए यह क्या है दूसरे शब्दों में- मैं कौन
हूँ, मैं कैसे अ्पनी सीमितताओं के साथ येसु के मिशन में सहायता कर सकता हूँ और प्रभु
हमें जवाब देते हैं- उनके पवित्र और वंदनीय हाथों में वह सब रखकर जो हमारे पास है पुरोहित
अनेकों और सबलोगों के लिए मुक्ति के साधन बनते हैं।
हमारे चिंतन के लिए दूसरा
बिन्दु संत अन्ना और संत जोवाकिम, मरियम के अभिभावक और इसलिए येसु के नाना नानी के पर्व
से आता है। आज यह पर्व हमें शिक्षा के मुद्दे पर चिंतन कराता है जिसका कलीसिया के मेषपालीय
कार्य़ में महत्वपूर्ण स्थान है। विशिष्ट रूप से, यह हमें अपने नाना नानी और दादा दादी
के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित करता है जो परिवार में जीवन के मूलभूत मूल्यों के
साक्षी और निवेशक रहे हैं। ग्रैंड पेरेन्टस का शैक्षणिक कार्य़ सदैव बहुत महत्वपूर्ण है।
आज विभिन्न कारणों से यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जब बच्चे बढ़
रहे हैं अभिभावक उनके समक्ष अपनी पर्याप्त उपस्थिति सुनिश्चित करने में समर्थ नहीं हैं।
मैं, विश्व के सब ग्रैंड पेरेन्टस को विशेष आशीष देते हुए संत अन्ना और जोवाकिम
के संरक्षण के सिपुर्द करता हूँ। माता मरियम, कुछेक सुन्दर कलात्मक अभिव्यक्तियों के
अनुसार, जिन्होंने, अपनी माता अन्ना के समीप बैठकर पवित्र शास्त्रों को पढ़ना सीखा, ग्रैंड
पेरेन्टस को सहायता करें ताकि वे ईशवचन रूपी झरने से अपने विश्वास और आशा को पोषण प्रदान
करें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया और सब तीर्थयात्रियों एवं
विश्वासियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।