मंगलोर, 13 जुलाई, 2009। कर्नाटक के ईसाइयों ने सरकार से मांग की है कि उन हिंदु अतिवादियों
के संगठनों को प्रतिबंधित कर दें जो राज्य में तोड़नेवाली गतिविधयाँ चला रहे हैं। इस
बात की जानकारी देते हुए एक काथलिक किसान नोवेल सेगिविरा ने ईसाई विरोधी हिंसा की जाँच
समिति को बताया कि पहले लोग एक-दूसरे से खुल कर मिलते थे पर इन दिनों लोग अपना परिचय
हिन्दु मुसलिम और ईसाई के रूप में देते है और इससे भय का वातावरण बना रहता है। पिछले
साल सितंबर कर्नाटक में जो ईसाई विरोधी हिंसा हुए उसमें तथाकथित रूप से बजरंग दल का हाथ
था। ज्ञात हो कि जाँच समिति के समक्ष जिन एक सौ लोगों ने अपने साक्ष्य दिये उनमें नोएल
भी एक था। इस जाँच समिति ने करीब 600 ईसाइयों 295 हिंदुओं औऱ 100 पुलिस कर्मियों
को इसके लिये सामने आने की सूचना दी थी। ज्ञात हो कि इस वर्ष के नवम्बर महीने में
जाँच आयोग को अपना रिपोर्ट सौपना है। जिन ईसाइयों ने आयोग के सामने अपने साक्ष्य
दिये हैं उन्होंने यह स्पष्ट माँग की है कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाया जाय। इस दल ने
न केवल ईसाइयों पर अत्याचार किये हैं पर हिन्दुओं और ईसाइयों के बीच तनाव पैदा कर दिया
है। अपने बयान देते हुए 70 वर्षीय बेथानी सिस्टर एलिस डीसूजा ने रोते हुए कहा कि
हिंसा पर उतारु भीड ने उनके गिरजाघर को ध्वस्त कर दिया और पवित्र वस्तुओं को भी तोड़-फोड़
कर दिया था। उसने भी इसके लिये बजरंग दल को ज़िम्मेदार ठहराया है। उस पर प्रतिबंध
लगाने की माँग की है। उधर बजरंग दल ने ईसाइयों पर आरोप लगाया है कि वे जबरन लोगों को
ईसाई बनाते हैं। सिस्टर सरिता ने कहा है कि वह 35 सालों से शिक्षिका का कार्य कर
रही है और कभी किसी को ईसाई बनने का न तो निमंत्रण दिया है न किसी को कोई प्रलोभन दिये
हैं।