2009-07-02 13:56:36

कलीसियाई अधिकारियों ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों की समीक्षा किये जाने का स्वागत किया


भारत में कलीसियाई अधिकारियों ने केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम के आश्वासन का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने तथाकथित धर्मांतरण विरोधी कानूनों की समीक्षा किये जाने का संकल्प व्यक्त किया है। इस कानून के कारण अनेक राज्यों में धर्म परिवर्तन पर पाबंदी लगी हुई है। अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी भारतीय धर्माध्यक्षों के आयोग के सचिव फादर एम डी थोमस ने स्थानीय मीडिया की उक्त रिपोर्ट की सराहना करते हुए कहा कि इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि समीक्षा की बातों की विस्तार से जानकारी प्राप्त करना अभी शेष है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मई माह में केन्द्रीय सत्ता में आई कांग्रेस नेतृत्ववाली सरकार इस स्थिति की समीक्षा करना चाहती है। ज्ञात हो कि धर्म परिवर्तन संबंधी विवादित कानूनों के कारण जिला अधिकारियों को सूचित किये बिना किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन करना या कराना दंडनीय है। जो लोग छल बल या प्रलोभन के द्वारा दूसरों का धर्म परिवर्तन कराते हैं उनके लिए कानून में सज़ा का प्रावधान है। धर्म परिवर्तन संबंधी कानून 1967 में उड़ीसा में, 1968 में मध्यप्रदेश में तथा 1978 में अरूणाचल प्रदेश में पारित किये गये। हाल के वर्षों में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश ने इस प्रकार के कानून बनाये हैं। ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि ये कानून मिशनरियों को लक्षित हैं क्योंकि उनके द्वारा चलाये जानेवाले समाज सेवा के कार्य़क्रमों को आसानी से धर्मपरिवर्तन के लिए प्रलोभन कहा जा सकता है। फादर थोमस ने कहा कलीसिया की आशा है कि ये राज्य जहाँ इस तरह के कानून लागू हैं वे उन कारणों पर पुर्नविचार करेंगे क्योंकि भारतीय संविधान सब नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि संविधान के आलोक में कानून सब धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू किया जाना चाहिए जो व्यक्ति को अपनी पसंद के अनुसार धर्म को मानने, अभ्यास करने और इसका प्रसार करने की स्वतंत्रता देता है। नेशनल कौंसिल आफ चर्चेज के सचिव धर्माध्यक्ष डी के साहू ने कहा कि कानून का कोई भी पुनरावलोकन किया जाना स्वागत योग्य कदम है। धर्मांतरण विरोधी कानून सामान्य लोगों की स्वतंत्रता को कम करते हैं तथा इनका बहुत बार दुरूपयोग किया जाता है। चर्च आफ नोर्थ इंडिया के महासचिव मान्यवर एनोस प्रधान ने कहा कि वे इस केन्द्रीय समीक्षा का स्वागत करते हैं जो लोगों को अपने तरीके से अपना धर्म मानने और उसका पालन करने की आशा प्रदान करता है।








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