2009-06-29 15:45:26

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश


श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 28 जून को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में उपस्थित देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने इस प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व दिये गये संदेश में कहाः-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

संत पेत्रुस और संत पौलुस के समारोही पर्व के लिए प्रथम संध्या प्रार्थना समारोह के साथ ही जिसकी अध्यक्षता मैं आज संध्या पहर संत पौलुस को समर्पित महामंदिर में करूँगा पौलिन वर्ष जिसकी उदघोषणा गैर यहूदियों के प्रेरित संत पौलुस के जन्म की दो हजारवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में की गयी थी का समापन हो रहा है। यह वास्तव में कृपा का समय रहा जिसमें अनेक तीर्थयात्राओं, धर्मशिक्षाओं, असंख्य प्रकाशनों और अन्य पहलों के द्वारा सम्पूर्ण कलीसिया के सामने संत पौलुस की छवि को प्रस्तुत किया गया और उनके संदेश सर्वत्र ख्रीस्तीय समुदायों में पुनःप्रदर्शित हुए हैं। ख्रीस्त और उनके सुसमाचार के प्रति उमंग जगी है। इसके लिए हम ईश्वर को पौलिन वर्ष तथा सब आध्यात्मिक उपहारों के लिए धन्यवाद देते हैं।

ईश्वर की कृपा से कुछ दिनों पूर्व एक अन्य विशेष वर्ष पुरोहितों के वर्ष का 19 जून को येसु के पवित्रतम दिल के समारोही पर्व के दिन उदघाटन किया गया। इसी दिन आर्स के पवित्र पुरोहित जोन मेरी वियान्नी के निधन की 150 वीं वर्षगांठ का दिवस था। मुझे विश्वास है कि यह और अधिक आध्यात्मिक तथा मेषपालीय संवेग है जो ईसाई विश्वासियों, विशेष रूप से पुरोहितों के लिए अनेक लाभ उत्पन्न करेगा।

पुरोहितों के वर्ष का क्या उददेश्य है जैसा कि मैंने पुरोहितों को भेजे गये पत्र में लिखा है इसका आशय है कि सब पुरोहितों की ओर से आंतरिक समर्पण के प्रसार में योगदान करना ताकि वे वर्तमान विश्व में सशक्त और तीव्र सुसमाचारीय साक्ष्य दे सकें। इस अर्थ में प्रेरित संत पौलुस अनुकरण करने के आदर्श नमूना हैं। उनके जीवन की कुछेक विशिष्टताएँ नहीं लेकिन उनका जीवन वास्तव में अद्वितीय था- ख्रीस्त के प्रति प्रेम, सुसमाचार की उदघोषणा करने के लिए उनका उत्साह, समुदायों के प्रति उनका समर्पण, मेषपालीय ईशशास्त्र के प्रभावी संश्लेषण की उनकी व्याख्या।

प्रेरित संत पौलुस एक पुरोहित के उदाहरण हैं जिसकी पहचान पूर्ण रूप से उनकी प्रेरिताई से की जाती है। जैसा कि आर्स के पवित्र पल्ली पुरोहित भी थे कीमती निधि के धारक होने की जागरूकता अर्थात् मुक्ति के संदेश जो कि मिट्टी के पात्रों में रखी है। इसलिए एक ही समय में वे मजबूत और विनम्र हैं। आंतरिक रूप से दृढ़मत हैं कि ईश्वर सबकुछ कर रहे हैं, सबकुछ कृपा है। प्रेरित लिखते हैं कि ख्रीस्त का प्रेम हमें धारण करता है। यही प्रत्येक पुरोहित का आदर्श वाक्य हो सकता है। आत्मा की प्रेरणा से वह ईश्वर के रहस्यों का निष्ठावान सेवक रहे। पुरोहित को भी पूर्ण रूप से ख्रीस्त और कलीसिया का होना चाहिए। उनका आह्वान किया जाता है कि वे कलीसिया के प्रति अपने आपको अविभाजित प्रेम के साथ समर्पित करें जैसा कि एक विश्वासी पति अपनी दुल्हन के प्रति समर्पित है।

प्रिय मित्रो, पवित्र प्रेरितों संत पेत्रुस और संत पौलुस के साथ हम कुँवारी माता मरियम की मध्यस्थता का आह्वान करते हैं ताकि वे पुरोहितों का वर्ष जो हाल ही में आरम्भ हुआ है इसमें पुरोहितों के लिए प्रभु से प्रचुर वरदानों को प्राप्त करें। मरियम जिन्हें संत जोन मेरी वियन्नी प्रेम करते थे और अपने पल्लीवासियों को प्रेम करना सिखाया प्रत्येक पुरोहित को ईश्वर के वरदानों को पुर्नजाग्रत करने में सहायता करें जो उन्हें पवित्र पुरोहिताई के कारण प्राप्त है ताकि वह पवित्रता में बढ़ें, साक्ष्य देने के लिए यहाँ तक कि शहादत की सीमा तक और ख्रीस्त तथा कलीसिया के प्रति अपने पूर्ण और निश्चित समर्पण के सौंदर्य़ तक तैयार रहें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया तथा तीर्थयात्रियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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