देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, सोमवार 29 जून को रोम के संरक्षक सन्तों के महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें ने सन्त पेत्रुस महामन्दिर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर इस दौरान इस वर्ष
नियुक्त 34 महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ प्रदान कीं। कलीसिया के परमाध्यक्ष एवं महाधर्माध्यक्षों
द्वारा धारण की जानेवाली अम्बरिकाएँ खोई हुई और फिर पा ली गई भेड़ का प्रतीक है जिसे
भला गड़ेरिया अपने कन्धों पर ढोता है। यह मानवजाति के लिये क्रूस पर चढ़ाये गये मेमने
का भी प्रतीक है। अम्बरिकाएँ प्रदान कर सन्त पापा महाधर्माध्यक्षों को स्थानीय कलीसियाओँ
की देखरेख का अधिकार प्रदान करते हैं। सोमवार को उत्तरी अमरीका के दस, दक्षिणी अमरीका
के सात, यूरोप के आठ, अफ्रीका के छः एवं एशिया के तीन महाधर्माध्यक्षों को सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें ने अम्बरिकाएँ प्रदान कीं।
ख्रीस्तयाग समारोह में तुर्की के
इस्तानबुल स्थित कुस्तुनतुनिया की ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्मगुरु प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम
प्रथम द्वारा प्रेषित प्रतिनिधिमण्डल भी उपस्थित था। ग़ौरतलब है कि ऑरथोडोक्स कलीसिया
के संरक्षक सन्त अन्द्रेयस के महापर्व के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष काथलिक कलीसिया का प्रतिनिधिमण्डल
भी इस्तामबुल जाता है। यह महापर्व 30 नवम्बर को मनाया जाता है।
ख्रीस्तयाग समारोह
के बाद सन्त पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिससे पूर्व उन्होंने भक्तों को इस
प्रकार सम्बोधित कियाः
“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम, रोम के संरक्षक
सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस का महापर्व मना रहे हैं। सन्त पेत्रुस मछुआ समुदाय के थे
तथा उन्होंने इसराएल के धर्मियों को एकत्र कर पहले ख्रीस्तीय समुदाय का निर्माण किया
था। सन्त पौलुस वे जो आरम्भ में ख्रीस्तीयों पर अत्याचार करते थे किन्तु बाद में जिन्होंने
ईश्वर का प्रकाश देखा तथा मनपरिवर्तन किया। उन्होंने ख्रीस्त के रहस्य का गहनतम अध्ययन
किया तथा ग़ैरयहूगदियों के प्रेरित बने। सन्त पापा लियो महान ने अपने प्रवचनों में इन
दो सन्तों को गहन सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर मैं रोम धर्मप्रान्त के विश्वासियों
के प्रति अपनी विशेष मंगलकामनाएँ अर्पित करना चाहता हूँ जिनकी प्रेरितिक देखरेख का कार्यभार
मेरे सिपुर्द किया गया है। उन सभी का मैं अभिवादन करता हूँ जो सन्त पौल को समर्पित वर्ष
के समापन समारोह के लिये विश्व के विभिन्न क्षेत्रों से रोम पहुँचे हैं।
सन्त
पापा ने आगे कहाः "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सन्त पेत्रुस एवं पौलुस की मध्यस्थता से
प्रभु आपकी रक्षा करें। आपका मेषपाल होने के नाते मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि आप
अपनी ख्रीस्तीय बुलाहट के प्रति निष्ठावान बने रहें। रोम के लिये मेरी प्रार्थना है कि
वह केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर को ही न सम्भाल कर रखे बल्कि अपनी आध्यात्मिक धरोहर की
भी रक्षा करे ताकि जो भी इस शहर की भेंट करने आये अथवा इसे अपना निवास स्थान बनाना चाहे
वह आतिथ्य भाव का आनन्द उठा सके।
अन्त में सन्त पापा ने कहाः .......... "
आज का महापर्व काथलिक कलीसिया की सार्वभौमिकता को अभिव्यक्ति प्रदान करता है। इसीलिये
आज के दिन इस वर्ष के दौरान नियुक्त महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ प्रदान कर सम्मान
दिया जाता है। नवनियुक्त महाधर्माध्यक्षों का मैं हार्दिक अभिवादन करता हूँ तथा प्रार्थना
करता हूँ कि वे कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी सहभागिता को मज़बूत करेंगे। आज ही
के दिन ऑरथोडोक्स कलीसिया का प्रतिनिधिमण्डल भी हमारे साथ प्रभु के गुणगान के लिये उपस्थित
होता है इनके प्रति भी मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता तथा मंगलयाचना करता हूँ कि सन्त
पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के प्रति हमारी सामान्य भक्ति हमें एकता एवं पूर्ण सहभागिता की
ओर ले चलेगी। इस मनोरथ के लिये हम सब मिलकर माँ मरियम से प्रार्थना करें।"
इस
मंगल कामना के बाद, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद
प्रदान किया।