अखिल भारतीय क्रिश्चियन संघ और मानवाधिकार कानून नेटवर्क एक मंच पर
हैदराबाद, 19 जून, 2009। अखिल भारतीय क्रिश्चियन संघ ने मानवाधिकार कानून नेटवर्क के
साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
इसके तहत् यह इस बात पर सहमति हो गयी है
कि उड़ीसा में ईसाई विरोधी हिंसा के शिकार और पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान
किया जायेगा।
इसके साथ ही यह भी प्रयास किया जायेगा कि अंतरधार्मिक सद्भाव के
लिये कार्य किया जाये। ज्ञात हो कि सन् 2008 के अगस्त महीने में हुए ईसाई विरोधी हिंसा
में उड़ीसा का गजापति जिले में ही सबसे ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गँवायीं थी।
इसके
साथ 337 परिवारों के सदस्य बेघर-बार हो गये या अपने धन्धों से वंचित हो गये थे। हिंसा
के बाद जो पुनर्वास के कार्य हुए वे मुख्यतः कंधमाल जिले मे किये गये।
दोनों संगठनों
ने यह आशा व्यक्त की है कि उनके एक साथ कार्य करने से न केवल हिंसा से पीड़ित लोगों को
न्याय मिलेगा पर उनके जरूरी सरकारी कागजादों को भी पुनः प्राप्त करने में उनकी मदद की
जायेगी।
उनका मानना है कि उनके प्रयास से उन्हें आत्म निर्भर और स्वतंत्र होने
में मदद दी जायेगी।
उन बातों की जानकारी देते हुए साम पौल ने कहा कि उनकी योजना
है कि हिंसा से पीड़ित लोगों के लिये मुफ़्त में कानूनी सलाह सुविधा मुहैया कराया जा
रहा है।
इसके अलावा समाज सेवक भी उनकी सेवा के लिये तत्पर रहेंगे जो केसों को
पुलिस तक रिपोर्ट कराने लोगों में चेतना जगाने इन सब के बारे में लोगों को बताने के कार्यों
को करेंगे।
पौल ने यह भी बताया कि पिछले साल के हुए ईसाई विरोधी हिंसा में दो
महीनों में उड़ीसा के 14 जिले प्रभावित हुए थे 4, 540 घर को जलाया गया 54 हज़ार लोग बेखर
बार हो गया 70 लोग मारे गये जिसमें पाँच पास्टर और एक काथलिक पुरोहित ही शामिल है।
18
हज़ार लोगों घायल हुए दो महिलाओं का बलात्कार हुआ जिसमें एक सिस्टर भी शामिल है। अतिवादियों
ने 300 गिरजाघरों को नष्ट किया और 13 स्कूलों को भी ढह दिया। उन्होंने यह भी बताया कि
2, 500 केस सिर्फ़ कंधमाल जिले में दायर किये गये हैं।