भारतीय समाचारों में प्रकाशित खबर के अनुसार श्रीलंका की सेना पर आरोप है कि तमिल गुरिल्लाओं
के साथ युद्ध के अंतिम दिनों में उसने समर्पण करनेवाले वाले विद्रोहियों पर गोलियां चलाईं
और घायल नागरिकों को भी मृतकों के साथ सामूहिक कब्रों में दफना दिया।
जाफना में
मानवाधिकारों के लिये विश्वविद्यालयीन अध्यापकों की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है
कि नागरिकों की रक्षा के लिये सेना ने बहुत देर तक सन्तुलित भूमिका निभाई किन्तु बर्बरता
के लिए कमान से इजाजत मिलने के बाद उनकी भूमिका बदल गई। श्रीलंका के मानवाधिकार संगठन
की रिपोर्ट में तमिल गुरिल्लाओं पर भी अत्याचार, हत्या आदि का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट
में कहा गया है कि युद्ध के आखिरी दिनों में हजारों नागरिकों की मौत के लिए संभवत: संगठन
ही जिम्मेदार था।
गार्जियन में प्रकाशित खबर के अनुसार रिपोर्ट बुधवार की रात
को जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सम्भवतः तमिल गुरिल्लाओं ने नागरिकों पर उस
समय गोलियां चलाईं, जब वे भागने का प्रयास कर रहे थे। वहीं सरकारी सेना ने उन स्थलों
पर हथगोलों से हमला किया जिनके बारे में उन्हें पता था कि वहां आम नागरिकों ने शरण ले
रखी है।