2009-06-13 12:51:34

मानव का अवैध व्यापार एक नई तरह की ग़ुलामी


वाटिकन सिटी, 12 जून, 2009। मानव का अवैध व्यापार एक नई तरह की ग़ुलामी है इसे रोकने के लिये चर्च को तुरन्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

उक्त बातें उस समय कहीं गयी जब समर्मित जीवन और प्रेरितिक जीवन के लिये बनीं दो संस्थाओ के एक सदस्य फादर फूसेबियो हरनन्डेज़ सोला ने एक संवाददाता को संबोधित किया।

फादर फूसेबियो अगले सोमवार 15 जून से रोम शुरु होने वाले ' मानव व्यापार के संदर्भ में महिला धर्मसमाजियों की भूमिका विषय ' पर पाँच दिवसीय सेमिनार के बारे में बता रहे थे।

इस सेमिनार का आयोजन महिला धर्मसमाजियों की अंतरराष्ट्रीय संगठन और प्रवासियों के लिये बनी अंतरराष्ट्रीय संगठन के तत्वावधान में हुआ है।

फादर फूसेबियो ने इस सेमिनार के लक्ष्य के बारे बताते हुए कहा है कि यह सेमिनार उन बातों का मूल्यांकन करेगा जिन्हें पिछली सभा में विचार-विमर्श किया गया था जिसका आयोजन सन् 2007 में हुआ था।

इसके साथ ही इसमें आने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार की जायेगी।

फादर ने बल देकर कहा कि मानव का व्यापार 21वी शताब्दी की नयी चुनौति है जिससे एक ओर तो मानव की मर्यादा को छीन लेता है तो दूसरी ओर मानव को दास बना देता है और इसके शिकार मुख्यतः विकासशील देशों के बच्चे महिलायें और युवा हैं।

उन्होंने कहा कि आज धर्मसमाजियों को समाज की इस बुराई से बचाने के लिये अहम् भूमिका अदा करने की आवश्यकता है।

आयोजन समिति की एक सदस्या सलेसियन सिस्टर बेर्नादेत्त संगमा ने कहा कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए आज एक साथ मिलकर कार्य करना एक आमंत्रण केवल नहीं पर समय की एक माँग बन गयी है।

उन्होंने यह भी बताया कि मानव व्यापार में लगे लोगों का नेटवर्किंग बहुत ही व्यवस्थित है और उनके संबंध देश-विदेशों में बने हुए हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए प्रवासियों के लिये बनी समिति के स्तेफनो भोल्पीचेली ने बताया कि सन् 2007 में करीब 2 करोड़ पाँच लाख लोग मानव व्यापार के शिकार थे।

फादर सोला ने कहा है कि मानव व्यापार में लगे लोगों को सिर्फ़ सजा देने से ही समस्या का समाधान संभव नहीं है।

आज ज़रूरत है कि लोगों को इसके संबंध में जानकारी दी जाये और मानव और ईसाई मू्ल्यों को सिखाया जाये।









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