बाल श्रमिक प्रथा को दूर करने के लिये चर्च सक्रिय हो - फादर वट्टाकुजी
नई दिल्ली, 12 जून, 2009। भारत मे बाल श्रमिकों की प्रथा को दूर करने के लिये चर्च को
और सक्रिय होने की आवश्यकता है। 1 12 जून को विश्व बाल श्रमिक दिवस के अवसर पर बोलते
हुए सीबीसीआई के श्रमिकों के हित के लिये बनी समिति के सचिव फादर जोस वट्टाकुजी ने कहा
कि बाल श्रमिक प्रथा को हटाने प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। उन्होंने आगे बताया
कि सरकार ने बाल श्रमिक प्रथा को रोकने के लिये कई कदम उठायें है और उनके लिये क़ानून
भी बनाये हैं। पर यह तब ही सफ़ल हो सकता है जब देश का प्रत्येक नागरिक यह प्रण करेगा
कि वह इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इस अवसर बोलते
हुए उन्होंने कहा कि सन् 2001 ईस्वी के गणना के अनुसार देश में 12 लाख 60 हज़ार बाल श्रमिक
हैं जिनकी आयू 5 से 14 के बीच है। जानकारी के अनुसार पूरे विश्व में 165 लाख लोग
बाल श्रमिक हैं और उनमें सबसे ज़्यादा भारत में ही हैं। फादर वट्टाकुझी ने कहा है कि
बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिये चर्च लगातार कार्य कर रही है और लोगों में चेतना लाने
का प्रयास कर रही है। डोन बोस्को धर्मसमाज ने तो बालकों की रक्षा और उनके पुनर्वास
के लिये कार्य करते हुए पूरे देश में एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। चर्च की ओर से चलायी
जा रही योजना के अन्तर्गत ' चाइल्डलाईन ' नामक संस्था के पूरे देश में 100 ईकाइयाँ कार्य
कर रहीं हैं और बच्चों के हितों के लिये कार्य कर रहीं हैं। इस अवसर पर बोलते हुए
बन्धुवा मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने कहा कि देश के बाल श्रमिकों को
बचाने के लिये समाज के सोच को पूरी तरह से बदले जाने की आवश्यकता है।