केरल के फादर अंतोनी थचुपराम्बिल " ईश्वर के सेवक " घोषित
थिस्सुर जून 10, 2009। केरल के फादर अंतोनी थचुपराम्बिल को वाटिकन ने " ईश्वर के सेवक
" घोषित कर दिया है। उक्त आशय की जानकारी थिस्सुर के महाधर्माध्यक्ष अंद्रु थजात
ने 9 जून को उस समय दी जब वे चेलाकारा के संत मेरी फोराने महागिरजाघर में यूखरिस्तीय
समारोह सम्पन्न किया। इस समाचार की जानकारी देते हुए महाधर्मप्रांत के प्रवक्ता फादर
फांसिस अल्लूर ने कहा कि 9 जून को मिस्सा पूजा समारोह के समय विकर जेनरल रफ़ाएल थट्टिल
ने संत पापा के इस संदेश को पढ़ कर सुनाया। ज्ञात हो कि ' ईश्वर के सेवक ' की उपाधि
दिया जाना संत बनने के मार्ग का पहली कड़ी मानी जाती है। इसके बाद व्यक्ति को धन्य घोषित
किया जाता है और अंत में काथलिक कलीसिया उसे संत घोषित करती है। प्रवक्ता फादर अल्लूर
ने यह भी बताया कि थचुपरामबिल के संत होने की प्रक्रिया की पहल पोस्तुलेटर फादर पौल पुलिकन
करेंगे। ज्ञात हो कि फादर थचुपरामबिल का जन्म सन् 1894 ईस्वी में चलाकुडी में हुआ
था। फादर अंतोनी थचुमपराबिल ने चेलाकारा के अत्यंत पिछड़े इलाके में तीस वर्षों तक जाति
धर्म और रंग-रूप का भेद-भाव किये कार्य किया। उन्होंने वहाँ के लोगों के विकास कि
लिये सन् 1930 ईस्वी में एक स्कूल की स्थापना की जिसे बालभवन के नाम से जाना जाता है
जहाँ पर अनाथों की देख-रेख होती है। फादर अंतोनी की मृत्यु सन् 9 जून को सन् 1963
ईस्वी में हो गयी।